जयपुर , अक्टूबर 12 -- राजस्थान के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि जिस पार्टी का इतिहास लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं के दमन से भरा हो, उसे आज सूचना के अधिकार (आरटीआई) एक्ट या पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
श्री राठौड़ ने रविवार को अपने बयान में आरोप लगाते हुए कहा कि देश में 50 से ज्यादा सरकारें गिराने वाली कांग्रेस, संवैधानिक संस्थाओं को बंधक बनाने वाली कांग्रेस और तुष्टिकरण की राजनीति के ज़रिए समाज को बांटने वाली कांग्रेस के नेता जब पारदर्शिता की बात करते हैं, तो यह ढोंग और दोहरा चरित्र ही नजर आता है।
उन्होंने कहा कि इतिहास से कांग्रेस की भूमिका को कोई नहीं भूल सकता। इंदिरा गांधी द्वारा चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को अदालत ने भी माना था। श्री डोटासरा शायद यह भी भूल गए हैं कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने ही पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को हराने के लिए विपक्षी उम्मीदवार को समर्थन दिया था। कांग्रेस का इतिहास आपातकाल, सेंसरशिप और लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन से भरा हुआ है। फिर कौनसी शुचिता की बात करती है कांग्रेस।
उन्होंने स्पष्ट किया कि आरटीआई को वास्तव में मजबूत करने का काम भाजपा सरकार ने किया है जहां अब ई-गवर्नेंस, डिजिटल एफआईआर और समयबद्ध जवाबदेही को कानून का हिस्सा बनाया गया है। कांग्रेस सिर्फ भ्रम फैलाने और झूठ की राजनीति में माहिर है। श्री डोटासरा ने पहले भी कृषि बिलों, महिला आरक्षण, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर जनता को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन हर बार सत्य सामने आया और कांग्रेस का चेहरा बेनकाब हुआ। जनता अब कांग्रेस के इन बयानवीर नेताओं के झांसे में आने वाली नहीं।
उन्होंने कहा कि भाजपा की राजनीति राष्ट्रवाद, सुशासन और पारदर्शिता पर आधारित है जबकि कांग्रेस अब भी धोखे, भ्रम और सत्ता की भूख के पुराने ढर्रे पर चल रही है।
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