कांकेर , दिसंबर 21 -- केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने के प्रस्ताव के विरोध में कांकेर जिला कांग्रेस कमेटी ने पुराना बस स्टैंड में रविवार को एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेताओं ने इस कदम को गांधी-विरोधी मानसिकता और गरीब तथा मजदूर विरोधी नीति करार देते हुए तीखा विरोध दर्ज कराया।
धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मनरेगा कोई सामान्य सरकारी योजना नहीं बल्कि एक ऐसा ऐतिहासिक कानून है जिसने ग्रामीण भारत के करोड़ों गरीबों को 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी दी है। इस कानून ने महिलाओं, भूमिहीन मजदूरों और वंचित वर्गों को आर्थिक संबल प्रदान किया तथा श्रम की गरिमा को स्थापित किया। नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मनरेगा को कमजोर कर उसे धीरे-धीरे समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
कांग्रेस पदाधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में मनरेगा लागू कर ग्रामीण पलायन रोकने और गांवों में ही रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त किया गया था, लेकिन वर्तमान सरकार पंचायतों के अधिकारों में कटौती कर रही है। यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं, बल्कि रोजगार की कानूनी गारंटी, समय पर मजदूरी भुगतान और विकेंद्रीकृत व्यवस्था को खत्म करने की साजिश है।
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