बेंगलुरु , अक्टूबर 07 -- कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि राज्य सरकार ने अधिकारियों के अनुरोध और कई शहरी क्षेत्रों में सीमित भागीदारी के बाद कराये जा रहे जाति-आधारित सर्वेक्षण की समय-सीमा दस दिन बढ़ाने का फैसला किया है।
श्री शिवकुमार ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के तहत ग्रेटर बेंगलुरु और अन्य क्षेत्रों में डेटा संग्रह देर से शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कुछ क्षेत्रों में यह केवल 20-30 प्रतिशत ही पूरा हुआ, जबकि अन्य क्षेत्रों में भागीदारी अपेक्षा से कम रही है।
उन्होंने कहा, "अधिकारियों ने सर्वेक्षण पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया था। इसलिए हमने इसे दस दिन और बढ़ा दिया है।" उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में अवकाश घोषित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया, "यह उन निजी संस्थानों या पीयूसी कॉलेजों पर लागू नहीं होगा जहां परीक्षाएं चल रही हैं।"यह विस्तार विपक्षी भाजपा की आलोचना के बीच आया है, जिसने कांग्रेस सरकार पर पर्याप्त तैयारी के बिना जाति आधारित सर्वेक्षण प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा करने का आरोप लगाया है। भाजपा नेताओं ने दावा किया कि श्री शिवकुमार को भी सर्वेक्षण के कई जटिल सवालों के जवाब देने में दिक्कत हो रही थी। उन्होंने इस प्रक्रिया को 'अवैज्ञानिक' और 'जल्दबाजी में अंजाम दिया गया' बताया।
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