बेंगलुरु , अक्टूबर 17 -- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने संकेत दिया कि राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति और इंफोसिस के अध्यक्ष नारायण मूर्ति द्वारा केंद्र सरकार की आगामी जाति जनगणना से पहले राज्य के सामाजिक-शैक्षणिक सर्वेक्षण के लिए जानकारी देने से इनकार करने के पीछे 'गलत धारणा' हो सकती है।
श्री सिद्दारमैया ने कहा, "केंद्र सरकार भी आने वाले दिनों में जाति जनगणना कराएगी। क्या वे तब भी सहयोग नहीं करेंगे? हो सकता है कि उनके पास मौजूद गलत धारणा के कारण वे इस तरह की अवज्ञा कर रहे हों।"मुख्यमंत्री का यह बयान इंफोसिस के पूर्व मुख्य अधिकारी और बोर्ड सदस्य टीवी मोहनदास पई के खुलासे के बाद आया है, जिन्होंने सर्वेक्षण से खुद को अलग कर लिया है। श्री पई ने दावा किया, "सर्वेक्षण के पीछे का मकसद बिल्कुल अलग है। जाति सर्वेक्षण का पूरा उद्देश्य लोगों को बांटना और वोक्कालिगा और लिंगायतों की आबादी में गिरावट दिखाना प्रतीत होता है।"मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि शक्ति योजना के तहत कराया गया यह सर्वेक्षण राज्य की पूरी आबादी को कवर करता है, जिसमें गरीब और सवर्ण जातियों के परिवार शामिल हैं। उन्होंने कहा, "इस सर्वेक्षण को पिछड़े वर्गों का सर्वेक्षण समझना भारी भूल है। उन्होंने कहा कि राज्य की आबादी लगभग सात करोड़ है और यह "इन लोगों का आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक सर्वेक्षण है।"इस बीच भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री सुरेश कुमार ने सर्वेक्षण के आंकड़ों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया था कि एकत्रित विवरण गोपनीय रहेंगे और पूछा कि क्या मूर्ति के कथित नोट को प्रसारित करना इस आश्वासन का उल्लंघन नहीं है?कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने सर्वेक्षण के मोबाइल एप्लिकेशन को अपडेट किया है ताकि गणनाकर्ता बार-बार आने पर बंद या खाली घरों का रिकॉर्ड रख सकें।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित