बेंगलुरु, सितंबर 30 -- कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आज एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) नियम 2025 पर अस्थायी रोक लगा दी गई थी, जिसके तहत फिल्म टिकट की कीमत 200 रुपये तय की गई थी।
उल्लेखनीय है कि 23 सितंबर को एकल पीठ न्यायाधीश ने मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमएआई) और अन्य संस्थाओं की याचिका पर इन नियमों पर रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज और न्यायमूर्ति राजेश राय की अवकाशकालीन पीठ ने अंतरिम आदेश काे बढ़ाते हुए इस बात पर जोर दिया कि "सभी संबंधित पक्षों के हितों की रक्षा के लिए अंतरिम आदेश का विस्तार करके न्याय के हित की पूर्ति की जाएगी।"न्यायालय ने एमएआई और उसके सदस्यों को जीएसटी को छोड़कर सभी टिकटों की बिक्री का विस्तृत लेखा-जोखा रखने और इलेक्ट्रॉनिक और नकद बुकिंग, दोनों पर नज़र रखने का निर्देश दिया। जिनमें पीवीआर और आईनॉक्स भी शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि यदि प्रतिवादी राज्य की अधिसूचना को चुनौती देने में विफल रहते हैं, तो इलेक्ट्रॉनिक रूप से एकत्रित की गयी राशि सिनेमा प्रेमियों के हितों की रक्षा के लिए उन्हें वापस की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि नकद भुगतान के मामले में गुण-दोष के आधार पर विचार करने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। यदि प्रतिवादी सफल होते हैं, तो वे राशि अपने पास रख सकते हैं; यदि वे असफल होते हैं, तो राशि जनहित में विनियोग की जा सकती है।
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि एमएआई लाइसेंसिंग प्राधिकारी को मासिक आधार पर, अगले महीने की 15 तारीख तक आवधिक खाता विवरण प्रस्तुत करे। ये विवरण प्रस्तुत न करने वाले किसी भी मल्टीप्लेक्स पर 200 रुपये की टिकट सीमा लागू होगी।
न्यायालय ने यह आदेश कर्नाटक राज्य फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। जिसमें इस आधार पर अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई थी कि वैधानिक संशोधनों की वैधता की एक पूर्वधारणा है और उनकी वैधता पर विस्तृत विचार किए बिना अंतरिम रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।
न्यायालय ने प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर अपनी आपत्तियां प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है और इस मामले में अगली सुनवाई 25 नवंबर को तय की गयी है।
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