भुवनेश्वर , नवंबर 27 -- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ओडिशा की स्थापना के सौ साल पूरे होने तक इसे समृद्ध राज्य बनाने के लिए यहां के जन प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारकों को मिल कर प्रयास करने का आह्वान करते हुए गुरुवार को कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में प्रचुर संसाधनों वाले इस राज्य का बड़ा योगदान हो सकता है।
ओडिशा के दौरे पर आयीं राष्ट्रपति मुर्मु ने राज्य विधान सभा की एक विशेष बैठक को संबोधित कर रही थीं। वर्ष 2036 में राज्य के गठन का शताब्दी वर्ष मनाया जाएगा।
श्रीमती मुर्मु ने कहा, ' यदि सभी हितधारक मिलकर 2036 तक एक समृद्ध ओडिशा का निर्माण करें तो यह 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में ओडिशा का सबसे बड़ा योगदान होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी 'राष्ट्र प्रथम' की भावना से कार्य करेंगे।"राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति ने ओडिशा को हर प्रकार के संसाधनों से संपन्न बनाया है। यहाँ प्रचुर मात्रा में खनिज भंडार, वन और जल संसाधन हैं, साथ ही मानव संसाधन भी। ओडिशा का वातावरण कृषि, उद्योग और वाणिज्य के विकास के लिए अत्यंत उपयुक्त है। इन सभी लाभों का उपयोग कर ओडिशा को देश का अग्रणी राज्य बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ओडिशा तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, जनजातीय एवं अन्य वंचित समूहों के विकास, आवास, आपदा प्रबंधन आदि क्षेत्रों में अनेक नई पहलों के लिए ओडिशा सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से ओडिशा में औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया नए स्वरूप में आगे बढ़ रही है।
राज्य विधान सभा की सदस्य रह चुकीं श्रीमती मुर्मु ने जन प्रतिनिधियों से सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में अपने शब्द और आचरण को लेकर निरंतर सजग रहने की अपील की। उन्होंने कहा, ' यह प्रौद्योगिकी का युग है। जनप्रतिनिधियों के रूप में विधायकों के बहुत से प्रशंसक और अनुयायी होते हैं। वे जानने के इच्छुक रहते हैं कि उनके प्रतिनिधि क्या कहते हैं और क्या करते हैं। उनके शब्द और आचरण दोनों ही अत्यंत मूल्यवान हैं।'राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक सदन के भीतर और बाहर क्या कहते हैं और कैसे कहते हैं, यह सभी जानते हैं। उनका आचरण और शब्द ऐसे होने चाहिए कि उनके प्रशंसक और अनुयायी उन्हें अपनाकर समाज और राज्य के निर्माण में योगदान दे सकें। सभी विधायकों का दायित्व है कि वे नागरिकों की अपेक्षाएँ पूरी करें, उनके सपनों को साकार करें और उनके चेहरों पर मुस्कान लाएँ।
श्रीमती मुर्मु ने ओडिशा विधान सभा के सदस्य के रूप में सदन में बीते अपने पुराने दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि कई वर्षों बाद इस स्थान की पुरानी यादें फिर से ताज़ा हो गई हैं। एक विधायक के रूप में उन्होंने इस सदन में प्रश्न पूछे थे और एक मंत्री के रूप में विधायकों के प्रश्नों के उत्तर दिए थे।
उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में ओडिशा की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए कि इस धरती ने 'चंडाशोक के धम्माशोक में रूपांतरण' को ( सम्राट अशोक की क्रूरता को करुणा में बदलते) देखा है। ओडिशा के जनजातीय समुदायों ने विदेशी शासन के खिलाफ लड़कर देश के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है।
श्रीमती मुर्मु ने ओडिशा में महिला सशक्तिकरण की प्राचीन परंपरा का उल्लेख भी किया और कहा कि यह गर्व की बात है कि ओडिशा विधान सभा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का लंबा इतिहास है। स्वतंत्रता से पहले और बाद में ओडिशा में कोई भी विधान सभा ऐसी नहीं रही जिसमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व न रहा हो। ओडिशा की महिलाएँ विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर देश का गौरव बढ़ा रही हैं।
राष्ट्रपति ने विधान सभा परिसर में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित विभिन्न दलों के नेताओं और सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने सदस्यों के साथ ग्रुप फोटो भी खिंचवाया।
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