जशपुर , नवंबर 28 -- छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की पुलिस ने "ऑपरेशन अंकुश" के तहत हाई-प्रोफाइल निवेश ठगी मामले में बड़ी सफलता हासिल करते हुये छह करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के मास्टमाइंड सहित तीन आरोपियों को झारखंड से गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने बताया कि पत्थलगांव थाना क्षेत्र के ग्रामीणों को कंपनी में निवेश कर रकम तीन गुना करने और प्रतिदिन एक प्रतिशत ब्याज देने का लालच देकर करीब छह करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड मोहम्मद सिराज आलम (38), उसके पार्टनर इमरान खान (35) और सहयोगी संतोष कुमार साव (34) को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस पूरे ऑपरेशन को पुलिस की साइबर और तकनीकी टीम, साथ ही सक्रिय मुखबिर नेटवर्क की ठोस मदद से अंजाम दिया गया।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, घटना का खुलासा 17 अक्टूबर को प्रार्थी जागेश्वर लाल यादव (43), निवासी मदनपुर, इंजिको, थाना पत्थलगांव द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट से हुआ। शिकायकर्ता ने बताया कि वह खेती-बाड़ी और ठेकेदारी का कार्य करते हैं। वर्ष 2023 में उन्हें एक परिचित का फोन आया कि पत्थलगांव के होटल "मान्या" में कृषि प्रोडक्ट की जानकारी देने संतोष कुमार साव नामक व्यक्ति आया हुआ है, जो कृषि आधारित उत्पाद प्लांट में निवेश की जानकारी देगा। इसके बाद जागेश्वर यादव अपने साथी डॉ. पीताम्बर साय निराला, सुकुंद चौहान और राजेंद्र भगत के साथ होटल मान्या पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात संतोष साव से हुई। साव ने शुरुआती बातचीत में भरोसा जमाते हुए बताया कि वे "सी बुल्स ग्लोबल सॉल्यूशन" नामक प्रोडक्ट बेस कंपनी में कार्यरत हैं, जो कृषि प्रोडक्ट का नया प्लांट लगाने वाली है, जिसमें निवेश करने पर प्रति माह ब्याज के साथ अच्छा मुनाफा मिलेगा। झांसे में आकर प्रार्थी, उनके साथियों और क्षेत्र के अन्य ग्रामीणों ने निवेश शुरू कर दिया।
शिकायतकर्ता ने बताया कि पहले कुछ महीनों तक कंपनी ने निवेशकों को प्रतिमाह और प्रतिदिन ब्याज का भुगतान कर भरोसा मजबूत किया लेकिन बाद में भुगतान पूरी तरह बंद हो गया। भुगतान बंद होने पर जब निवेशकों ने संपर्क किया, तो गिरोह के सरगना मोहम्मद सिराज आलम से उनकी मुलाकात कराई गई, जिसने नई कहानी रचते हुए बताया कि उनकी कंपनी कृषि उत्पाद बेस नहीं, बल्कि सेबी में रजिस्टर्ड 12 साल पुरानी ट्रेडिंग कंपनी है, जो शेयर और ट्रेडिंग मार्केट में काम करती है। सिराज आलम और उसके कारोबार सहयोगी हरिशरण देवांगन और संतोष साहू, निवासी जांजगीर-चांपा द्वारा कोरबा, घरघोड़ा, बिलासपुर, अंबिकापुर और चांपा सहित कई शहरों में मीटिंग आयोजित की गई और अलग-अलग चरणों में करोड़ों का निवेश कराया गया। गारंटी के नाम पर फेडरल और इंडसइंड बैंक का चेक भी निवेशकों को दिया गया।
पुलिस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अकेले प्रार्थी जागेश्वर यादव ने ऑनलाइन और नकद मिलाकर एक करोड़ 80 लाख रुपये जमा किए थे, जबकि उनके साथी लक्ष्मण केशवानी ने 95 लाख, भूषण पटेल ने 33 लाख, कमलेश यादव ने 10 लाख, और डॉ. पीताम्बर निराला ने 25 लाख रुपये का निवेश किया था। इसी तरह अन्य ग्रामीणों से भी पैसे लेकर कुल छह करोड़ रुपये की ठगी की गई। वर्ष 2024 में गिरोह ने एक और चाल चलते हुए निवेशकों के जरूरी दस्तावेज़ और हस्ताक्षर लेकर ओडिशा के सुंदरगढ़ में स्वास्थ्य बीमा कार्ड बनाने के नाम पर मीटिंग की और बाद में निवेशकों को उनकी मर्जी के बिना "सी बुल्स सहयोग निधि, रियल स्टेट व फाइनेंस लिमिटेड" नामक कंपनी में बतौर डायरेक्टर और मेंबर रजिस्टर्ड कर दिया। इस दौरान कंपनी की वेबसाइट बंद कर दी गई, आरोपी फोन स्विच-ऑफ कर फरार हो गए और मूलधन मांगने पर लॉस का झूठा बहाना बनाकर टालमटोल की जाने लगी।
शिकायत दर्ज होते ही एसएसपी शशि मोहन सिंह के निर्देश पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 420, 120(बी) और 34 के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू की। पूर्व में ही इस मामले में दो आरोपी हरिशरण देवांगन और संतोष साहू को गिरफ्तार किया जा चुका था। इसके बाद तकनीकी टीम ने गिरोह की लोकेशन ट्रेस कर पता लगाया कि सरगना सिराज बोकारो में और उसके सहयोगी रांची में छिपे हैं। तत्काल साइबर सेल जशपुर से निरीक्षक संत लाल आयाम, उपनिरीक्षक नसीरुद्दीन अंसारी, पत्थलगांव थाना प्रभारी विनीत कुमार पांडे, सहायक उपनिरीक्षक लोकेश साहू, और आरक्षक तुलसी रात्रे की संयुक्त टीम गठित कर झारखंड भेजी गई। टीम ने तकनीकी सहयोग से बोकारो से सिराज को तथा रांची से इमरान और संतोष साव को घेराबंदी कर हिरासत में लिया और जशपुर वापस लाया। आरोपियों के कब्जे से मोबाइल, लैपटॉप, आधार-पैन कार्ड और बैंक डिटेल बरामद कर जप्त कर लिए गए, जिनके डेटा की फॉरेंसिक जांच जारी है।
पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे निवेश पर वास्तविक ब्याज नहीं दे रहे थे, बल्कि नए निवेशकों से मिले पैसों को पुराने निवेशकों को ब्याज के रूप में लौटाकर "चेन-आधारित पोंजी स्कीम" की तरह सिस्टम चला रहे थे।
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