रायपुर , दिसंबर 01 -- ) छत्तीसगढ़ के रायपुर में ऑडिट पखवाड़े के तहत छत्तीसगढ़ के महालेखाकार कार्यालय ने स्वस्थ कार्य संस्कृति और सुदृढ़ वित्तीय प्रबंधन को बढ़ावा देने को लेकर सोमवार को दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिनका उदेश्य कर्मचारियों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ नगरपालिका लेखा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और दक्षता को सुदृढ़ करना था।

पहली पहल के रूप में महालेखाकार आवासीय कॉलोनी के कम्युनिटी हॉल में योग सत्र आयोजित किया गया। योग विशेषज्ञ तथा प्राकृतिक उपचार विशेषज्ञ एवं परामर्शदाता आहार विशेषज्ञ डॉ. नीलम नागवानी ने प्रतिभागियों को विभिन्न योगासन, प्राणायाम और तनाव प्रबंधन तकनीकों का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया। सत्र में उपस्थित प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से योगाभ्यास किया और स्वस्थ एवं संतुलित जीवनशैली अपनाने की दिशा में सकारात्मक रुचि दिखाई।

प्रधान महालेखाकार यशवंत कुमार ने योगाभ्यास के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक लाभों पर प्रकाश डालते हुए इसे दैनिक जीवनचर्या में शामिल करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में वरिष्ठ उप महालेखाकार प्रियाति कावड़ो, वरिष्ठ उपमहालेखाकार एम.एस. डहरिया, उपमहालेखाकार नितिन पुके, उपमहालेखाकार एज़िलारासी सहित कार्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।

ऑडिट पखवाड़े की दूसरी महत्वपूर्ण गतिविधि 'राष्ट्रीय नगरपालिका एवं लेखा मैनुअल में निर्धारित लेखा प्रक्रियाएँ और वित्तीय विवरणों की तैयारी' विषय पर आयोजित कार्यशाला रही। इस कार्यशाला का शुभारम्भ वरिष्ठ उपमहालेखाकार (लेखापरीक्षा) रायपुर प्रियाति कौड़ो द्वारा किया गया। कार्यक्रम में टिबरेवाल चंद एंड कंपनी, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, रायपुर की वित्त विशेषज्ञ शीतल अग्रवाल को व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया।

राज्य शहरी विकास अभिकरण तथा छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा से आए प्रतिभागियों ने नगरपालिका लेखा प्रक्रियाओं में अपनाई जाने वाली विधियों, वित्तीय विवरणों की तैयारी तथा व्यावहारिक चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। इस कार्यशाला में भी वरिष्ठ अधिकारी- प्रियाति कौड़ो, एम.एस. डहरिया और एजिलारासी-सहित महालेखाकार कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

ऑडिट पखवाड़े के दौरान आयोजित इन दोनों कार्यक्रमों ने न केवल कर्मचारियों में स्वास्थ्य-जागरूकता को प्रोत्साहित किया, बल्कि लेखा प्रबंधन के क्षेत्र में दक्षता और व्यावसायिक क्षमता को भी सुदृढ़ किया। महालेखाकार कार्यालय की यह पहल सकारात्मक और परिणाम-मुखी कार्यसंस्कृति को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है।

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