पटना, सितम्बर 25 -- खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना ने गुरुवार को अपना 14वाँ स्थापना दिवस भव्य समारोह और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ मनाया। इस अवसर पर न केवल संस्थान की उल्लेखनीय 14 वर्षों की यात्रा को याद किया गया, बल्कि रोगी देखभाल, शिक्षा और सामुदायिक सेवा को आगे बढ़ाने वाली नई पहलों का भी उल्लेख किया गया।
इस कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।समारोह में संस्थान की कार्यकारी समिति के विशिष्ट सदस्यों तथा सांसद तारिक अनवर की उपस्थिति ने इसे और समृद्ध बनाया। एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रो. (डॉ.) सौरभ वार्ष्णेय, संरक्षक के रूप में पूरे आयोजन का मार्गदर्शन किया और पिछले 14 वर्षों में एम्स पटना की उपलब्धियों का अवलोकन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में एम्स पटना के नवनियुक्त कार्यकारी निदेशक, ब्रिगेडियर डॉ. राजू अग्रवाल (रिटायर्ड) भी उपस्थित रहे। एम्स पटना के संस्थापक निदेशक जी.के. सिंह तथा कई पूर्व कार्यकारी निदेशक एवं अध्यक्षों की गरिमामयी उपस्थिति ने समारोह की भव्यता को और बढ़ाया।
राज्यपाल ने अपने प्रेरक संबोधन में एम्स पटना की उपलब्धियों की सराहना की और स्वास्थ्य सेवा, अनुसंधान और सामाजिक सेवा में इसके योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों से नवाचार, करुणा और समाज सेवा की भावना के साथ उत्कृष्टता की निरंतर खोज जारी रखने का आह्वान किया।
इस अवसर पर सांसद एवं एम्स पटना की कार्यकारी समिति के सदस्य तारिक अनवर ने बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने में संस्थान की भूमिका की सराहना की।
एम्स पटना की छात्र पत्रिका स्पंदन के डिजिटल संस्करण का भी विमोचन किया गया। यह पत्रिका मेडिकल छात्रों की साहित्यिक, कलात्मक और रचनात्मक अभिव्यक्ति का प्रतीक है, जो अकादमिक गतिविधियों के साथ-साथ कैंपस जीवन की जीवंतता को दर्शाती है।
इस अवसर पर एमबीबीएस और बी.एससी. नर्सिंग कार्यक्रमों के मेधावी छात्रों को परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का समापन रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से हुआ, जिसमें छात्रों, कर्मचारियों, रेज़िडेंट्स और फैकल्टी ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इससे एम्स पटना परिवार की सांस्कृतिक समृद्धि और एकता का उत्सव मनाया गया।
एम्स पटना का 14वाँ स्थापना दिवस न केवल उसकी गौरवशाली यात्रा का उत्सव था बल्कि भविष्य में रोगी देखभाल, अनुसंधान और चिकित्सा शिक्षा में नई ऊँचाइयाँ छूने का संकल्प भी था।
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