चंडीगढ़, सितंबर 29 -- हरियाणा राइट टू सर्विस एक्ट, 2014 के तहत आयोग ने शिकायतकर्ता को पांच हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने इस मामले में टिप्पणी की कि "इसरो को चंद्रयान अभियानों में 3.8 लाख किलोमीटर दूर चंद्रमा तक पहुँचने में भी इससे कम समय लगा, परंतु हरियाणा शहरी विकास एवं आवास प्राधिकरण (एचएसवीपी) को इतनी साधारण प्रक्रिया पूरी करने में छह वर्ष लग गए।"इस लापरवाही के कारण शिकायतकर्ता न तो कब्ज़ा देने का प्रस्ताव प्राप्त कर सका और न ही अपनी रजिस्ट्री (कन्वेयंस डीड) करवा सका। आयोग ने इसे स्पष्ट किया कि इस प्रकार की देरी नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन के बराबर है और इसका सीधा असर शिकायतकर्ता पर पड़ा।
आयोग ने आदेश दिया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण इस मुआवजे की राशि अपने कोष से अदा करेगा। इसके बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच कर, उन्हें जिम्मेदारी तय होने पर वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस मामले ने राज्य के नागरिकों के लिए सरकारी सेवाओं में समयबद्धता और पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर किया है। आयोग ने यह भी कहा कि भविष्य में इस प्रकार की देरी रोकने के लिए अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश देने की आवश्यकता है।
इस निर्णय से स्पष्ट संदेश गया है कि राज्य सरकार की सेवाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
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