पटियाला , दिसंबर 25 -- ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने गुरुवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से विद्युत क्षेत्र में मनमानी कार्रवाइयों और तदर्थवाद को रोकने, औद्योगिक शांति बहाल करने, तकनीकी नेतृत्व को बनाये रखने, अन्यायपूर्ण कार्रवाइयों को पलटने औरपंजाब के विद्युत क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है।
श्री मान को लिखे पत्र में एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने पंजाब के विद्युत क्षेत्र की तकनीकी अखंडता और संस्थागत स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हालिया घटनाक्रमों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। विद्युत क्षेत्र के इंजीनियर और कर्मचारी पहले से ही विद्युत मंत्री की मनमानी कार्रवाइयों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
एआईपीईएफ, पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन के प्रमुख पदाधिकारियों के मनमाने तबादलों की कड़ी निंदा करता है और इसे पीएसपीसीएल प्रबंधन का दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधात्मक कदम बताता है। एआईपीईएफ आपसे इन मनमाने आदेशों को वापस लेने का अनुरोध करता है।
श्री दुबे ने कहा कि वरिष्ठ स्तर के इंजीनियर अधिकारियों और निदेशक/ जनरेशन को निराधार और तकनीकी रूप से गलत आधारों पर मनमाने ढंग से निलंबित करना और हटाना उचित प्रक्रिया को कमजोर करता है, मनोबल को नुकसान पहुंचाता है और इंजीनियरों के बीच दबाव और असुरक्षा का माहौल पैदा करता है। एआईपीईएफ, पीएसपीसीएल और पीएसटीसीएल की विद्युत क्षेत्र की संपत्तियों की बिक्री का कड़ा विरोध करता है, जो भविष्य में पारेषण या वितरण परियोजनाओं के विस्तार या संवर्धन के लिए आवश्यक हैं। निगमों की संपत्तियों की बिक्री से उनकी ऋण लेने की क्षमता भी प्रभावित होगी और यह विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों का उल्लंघन भी है। इसके अलावा, तकनीकी संचालन, खरीद और बोर्ड के निर्णयों में बढ़ते अवांछित राजनीतिक हस्तक्षेप और गैर-तकनीकी सलाहकारों के बढ़ते प्रभाव से संस्थागत व्यावसायिकता कमजोर हो रही है।
उन्होंने कहा कि पीएसईबी के विभाजन के समय, दोनों निगमों के सीएमडी और निदेशकों की नियुक्ति के लिए विस्तृत योग्यता, पात्रता मानदंड और चयन प्रक्रिया निर्धारित की गयी थी, जिसमें स्पष्ट रूप से यह परिकल्पना की गयी थी कि दोनों संस्थाओं का नेतृत्व अनुभवी विद्युत क्षेत्र के तकनीशियनों द्वारा किया जाएगा। अब, सरकार ने सचिव स्तर के एक आईएएस अधिकारी को सीएमडी के पद पर नियुक्त किया है और बाद में राज्य क्षेत्र के इंजीनियरों के संगठन द्वारा इस पद के योग्यता/ अनुभव मानदंडों को कम करने के संबंध में दिये गये सुझावों को नजरअंदाज करते हुए अवैध संशोधन किये हैं। उन्होंने कहा कि एआईपीईएफ नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से पूर्णकालिक तकनीशियन सीएमडी की शीघ्र नियुक्ति का आग्रह करता है। रोपड़ में 800 मेगावाट की दो सुपरक्रिटिकल परियोजना की स्थापना राज्य की ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है। नवीनतम स्थिति के अनुसार, हालांकि इन इकाइयों की स्थापना अब राज्य क्षेत्र के बजाय निजी क्षेत्र में करने की योजना है, जिसका अर्थ है कि बिजली उत्पादन तो महंगा होगा ही, साथ ही राज्य के उपभोक्ताओं के लिए टैरिफ भी अधिक होंगे।
एआईपीईएफ राज्य सरकार से विद्युत (संशोधन) विधेयक का विरोध करने का आग्रह किया है, क्योंकि यह विधेयक विद्युत क्षेत्र में निर्णय लेने में राज्य सरकारों की हिस्सेदारी को कम करता है, जबकि यह समवर्ती सूची का विषय है। प्रस्तावित विधेयक इस क्षेत्र में राज्य की स्वायत्तता को कमजोर करता है और निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाते हुए हाशिए पर पड़ी आबादी के हितों से भी समझौता करता है।
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