देहरादून , नवंबर 23 -- उत्तराखंड के देहरादून जनपद अंतर्गत ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में रविवार को बाल चिकित्सा स्पाइनल विकृति देखभाल, उपचार के बेहतर प्रबन्धन के लिए व्यावहारिक कार्यशालाओं और अत्याधुनिक अनुसंधान की प्रगति पर मंथन के लिए रार्ष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि रीढ़ की हड्डी में होने वाली स्कोलियोसिस बीमारी का निदान किशोरवस्था से पूर्व किया जाना जरूरी है।

एम्स के ऑर्थोपेडिक्स विभाग द्वारा ऑर्थोपेडिक रिसर्च एंड एजुकेशन सोसाइटी और उत्तराखंड स्पाइन सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में इस कार्यशाला के साथ भारतीय बाल चिकित्सा स्पाइन अकादमी के संयुक्त वार्षिक सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।

सम्मेलन के मुख्य अतिथि और एम्स ऋषिकेश के अध्यक्ष प्रो. राजबहादुर ने व्यापक स्पाइन देखभाल और अकादमिक उत्कृष्टता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन अस्थि रोग विभाग और एम्स, ऋषिकेश को शैक्षणिक क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और इसे विश्व मानचित्र पर स्थापित करेगा। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में रोगी देखभाल, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए ऑर्थोपेडिक्स विभाग और स्पाइन सर्जरी विभाग की प्रशंसा की।

ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख प्रो. पंकज कंडवाल ने कहा कि शुरुआती स्कोलियोसिस (रीढ़ की हड्डी का एक तरफ से दूसरी तरफ असामान्य तौर से टेढ़ा हो जाना) से लेकर उच्च-ग्रेड डिस्प्लास्टिक स्पोंडिलोलिस्थीसिस तक जटिल और बाल चिकित्सा रीढ़ की समस्याओं के व्यवहारिक समाधानों के लिए देशभर के विशेषज्ञ चिकित्सकों का एम्स में एकत्र होना स्वयं में गौरव का विषय है। सम्मेलन को प्रोफेसर वोंग ही किट, एनयूएचएस सिंगापुर, डॉ. राजशेखरन, गंगा अस्पताल, कोयंबटूर, प्रो. एस.के. श्रीवास्तव (एएसएसआई अध्यक्ष), मुंबई और कई अन्य ने भी संबोधित किया। इसके अलावा सम्मेलन मे ऐजेन्डे से संबन्धित विषयों पर ऑर्थो विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। साथ ही सर्जिकल वीडियो सत्र, वाद-विवाद, ई पोस्टर प्रदर्शनी आदि का भी आयोजन किया गया।

कार्यशाला में डॉ. कौस्तुभ आहूजा, डॉ. भास्कर सरकार सहित यूकेएसएस के सदस्य डॉ. प्रियांक उनियाल, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. हर्ष प्रियदर्शी, डॉ. नवीन अग्रवाल, डॉ. विक्रांत चैहान और डॉ. तेजस्वी अग्रवाल के अलावा डॉ. अभय नेने, डॉ. अमित झाला, डॉ. अप्पाजी कृष्णन, डॉ. नरेश कुमार, प्रोफे. कामरान फारूक सहित कई अन्य ऑर्थो विशेषज्ञ मौजूद रहे।

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