चंडीगढ़ , नवंबर 28 -- देश भर में ऊर्जा क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों और इंजीनियरों ने नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज़ एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईईई ) के बैनर तले गुरुवार को प्रस्तावित बिजली (संशोधन) बिल 2025 और कई राज्यों में चल रहे निजीकरण प्रक्रिया के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईइपीएफ) के मीडिया सलाहकार वी के गुप्ता ने शुक्रवार को यहां जारी एक बयान में बताया कि पटियाला, जम्मू, कश्मीर, देहरादून समेत सभी राज्यों और हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, रांची, गुवाहाटी, लखनऊ जैसे सभी बड़े शहरों में प्रदर्शन हुए। उत्तर प्रदेश में, वाराणसी और आगरा में खास तौर पर विरोध प्रदर्शन तेज़ थे।
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने मांग की है कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 वापस ले और उत्तर प्रदेश में निजीकरण की प्रक्रिया को रोके।एआईइपीएफ के आह्वान पर पटियाला में सभी इंजीनियरों और कर्मचारी यूनियनों और एसोसिएशनों ने उत्तर प्रदेश के इंजीनियर्स और कर्मचारियों के साथ एकजुटता और उनके सपोर्ट में एक ज़ोरदार विरोध रैली की, क्योंकि वे प्राइवेटाइजेशन प्रोसेस और इलेक्ट्रिसिटी बिल 2025 के खिलाफ अपने चल रहे संघर्ष के एक साल पूरे होने पर हैं।
एआईइपीएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने वाराणसी में चेतावनी दी कि अगर केंद्र और राज्य पावर सेक्टर में निजीकरण प्रक्रियाको रोकने के लिए दोबारा नहीं सोचते हैं तो देश भर में आंदोलन होगा। यह बिल एनर्जी सेक्टर के लिए रास्ता बनाएगा और इसके नतीजे में टैरिफ़ में भारी बढ़ोतरी होगी, जिससे बिजली कम इनकम वाले कंज्यूमर्स और किसानों की पहुंच से बाहर हो जाएगी। पीरज़ादा हिदायतुल्लाह और सचिन टिक्कू ने कहा कि बेमिना और नॉर्थ कश्मीर में और जम्मू प्रांत के दस जिलों में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2025 के खिलाफ और यूपी पावर कर्मचारियों के एक साल लंबे संघर्ष के साथ एकजुटता दिखाते हुए रैलियां कीं।
जयंती टी ने बताया कि तमिलनाडु में सभी ब्रांचों में प्रदर्शन किया गया। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और आगरा में ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया। ई विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, यूपी के नेताओं ने कहा कि बिजली विभाग को पब्लिक सेक्टर में रखना आज़ादी की दूसरी लड़ाई है। इसी भावना के साथ हमें यह संघर्ष करना चाहिए। वाराणसी प्रोटेस्ट रैली में शहीद करतार सिंह सराभा और भगत सिंह को याद किया गया।
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