छपरा , अक्तूबर 11 -- भारत के उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन शनिवार को बिहार के सारण जिले में भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) की जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गांव सिताब दियारा गए और उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की।

उपराष्ट्रपति श्री राधाकृष्णन ने इसके बाद जेपी के पैतृक आवास को देखने के साथ लोक नायक जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय स्मारक पर पुष्पांजलि भी अर्पित की। उन्होंने गांव में स्थित लोक नायक स्मृति भवन और पुस्तकालय का भी भ्रमण किया।

श्री राधकृष्णन ने इस अवसर पर समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि लोकनायक की जन्मस्थली सिताब दियारा की पवित्र भूमि पर खड़े होना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि जेपी देश के सबसे महान नेताओं में से एक, सच्चे जननायक और न्याय तथा लोकतंत्र के लिए सतत संघर्ष करने वाले नेता थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 123वीं जयंती एक महान नेता को श्रद्धांजलि देने के अवसर के साथ उस आदर्श का उत्सव है, जो राष्ट्र को स्व से ऊपर, सिद्धांतों को सत्ता से ऊपर और जन को राजनीति से ऊपर रखता है।

श्री राधाकृष्णन ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जिन्हें प्यार से जेपी कहा जाता है, न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की अंतरात्मा के रक्षक भी थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1970 के दशक की 'संपूर्ण क्रांति' तक, जयप्रकाश नारायण का जीवन नैतिक साहस, सादगी और त्याग का उज्ज्वल उदाहरण रहा।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकनायक को सत्ता की कोई लालसा नहीं थी और उन्होंने सबसे ऊंचे पदों के प्रस्ताव भी ठुकरा दिए थे। उन्होंने कहा कि लोकनायक की शक्ति राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि नैतिक अधिकार से आती थी और उनकी रुचि सत्ता को पाने में नहीं, बल्कि सत्ता पर जन नियंत्रण में थी। उन्होंने कहा कि इस तरह की विचारधारा जेपी की मूल्य आधारित और नैतिक राजनीति में गहरी आस्था की प्रतीक है।

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