नैनीताल , नवंबर 28 -- उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर यमुना और आसन नदी के संगम पर निर्मित आसन बैराज पुलों के मामले में सुनवाई करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक प्रमुख पुल को वाहनों की आवाजाही के लिए खोलने की अनुमति दे दी। इससे उत्तराखंड और हिमाचल की सीमावर्ती जनता को लाभ मिलेगा।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में आज विकास नगर निवासी रघुनाथ सिंह नेगी और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई।

सरकार की ओर से पेश जवाबी हलफनामा में कहा गया कि स्क्रू पुल की मरम्मत की गई है। एक निजी और स्वतंत्र एजेंसी से इस पुल की जांच करवा ली गई है। पुल वाहनों की आवाजाही के लिए सुरक्षित माना गया है।

उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) की ओर से इस पुल को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को हस्तगत कर दिया गया है। शासन की अगुवाई में सिंचाई विभाग, यूजेवीएनएल और पीडब्ल्यूडी की संपन्न बैठक में इसे पीडब्ल्यूडी को सौंपने का निर्णय लिया गया।

इसके रखरखाव की जिम्मेदारी अब लोक निर्माण विभाग की है। साथ ही अन्य पुल यूजेवीएनएल के अधिकार क्षेत्र में रहेंगे। यह भी कहा गया कि इस पुल पर वाहनों की अनुमति नहीं दिए जाने से लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

अंत में युगलपीठ ने पुल को खोले जाने की सशर्त अनुमति दे दी है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि किसी अनहोनी की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी, सिंचाईं विभाग, यूजेवीएनएल और संबद्ध एजेंसी की होगी।

उल्लेखनीय है कि दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि आसन बैराज से गुजरने वाली नहरों पर साठ के दशक में 15 पुल बनाये गए थे। इनमें से पांच पुलों की स्थिति खराब है। ये काफी जर्जर हालत में हैं।

भारी वाहनों को अनुमति देने से खतरा हो सकता है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पुलों की मरम्मत और भारी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गयी थी। इसके बाद अदालत ने पुलों पर वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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