नैनीताल , नवम्बर 26 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश बार कौंसिल के हल्द्वानी में कार्यालय निर्माण के लिये खरीदी गयी भूमि को बेचने के निर्णय पर बुधवार को रोक लगा दी। साथ ही बार कौंसिल से चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है।

मामले को हल्द्वानी निवासी दो अधिवक्ताओं उज्ज्वल सुनाल और पृथ्वी लमगड़िया की ओर से चुनौती दी गयी है। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी कांडपाल की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय के हल्द्वानी के गौलापार शिफ्ट होने की प्रक्रिया के दौरान बार कौंसिल की ओर से कार्यालय निर्माण के लिये गौलापार में दो हजार वर्ग फुट भूमि खरीदी गयी थी।

प्रदेश सरकार की ओर से इसके लिये एक करोड़ रुपया की धनराशि भी स्वीकृत कर दी गयी जो नैनीताल के जिलाधिकारी के पास लंबित पड़ी हुई है। आगे बताया कि इस बीच हाईकोर्ट शिफ्ट होने के निर्णय पर उच्चतम न्यायालय ने स्थगनादेश जारी कर दिया।

इस बीच उत्तराखंड बार कौंसिल ने 26 अगस्त 2025 को हुई बैठक में इस भूमि को बेचने का निर्णय ले लिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि बार कौंसिल के पदाधिकारियों का कार्यकाल वर्ष 2024 में खत्म हो गया है और बार कौंसिल ऑफ इंडिया के निर्देश पर उत्तराखंड बार कौंसिल कामचलाऊ व्यवस्था के तहत बनी हुई है।

यह भी कहा गया कि उसे नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट के शिफ्ट होने का मामला अभी उच्चतम न्यायालय में लंबित है। ऐसे में बार कौंसिल का यह निर्णय गलत है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत से इस निर्णय पर रोक लगाने की मांग की गयी।

अंत में अदालत ने बार कौंसिल के निर्णय पर रोक लगा दी और उसे चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। साथ ही याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह में प्रतिशपथ देने के निर्देश दिये हैं।

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