नयी दिल्ली , दिसंबर 22 -- उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता मणिकराव कोकाटे की 1995 के धोखाधड़ी मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगा दी।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सीमित समय के लिए दोषसिद्धि पर रोक लगाने के आदेश से श्री कोकाटे फिलहाल विधानसभा की अयोग्यता से बच जाएंगे, जो उनके लिए एक बड़ी राहत है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जोयमाल्य बागची की पीठ ने श्री कोकाटे की ओर से बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर यह आदेश पारित किया। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने उनकी सजा तो निलंबित कर दी थी लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने आंशिक राहत देते हुए स्पष्ट किया कि दोषसिद्धि पर रोक श्री कोकाटे को किसी भी लाभ का पद धारण करने का हकदार नहीं बनाएगी। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची ने टिप्पणी की कि 'गलत घोषणा किसी दस्तावेज को जालसाजी नहीं बनाती' और प्रथम दृष्टया दोषसिद्धि में 'मौलिक त्रुटि' प्रतीत होती है।

यह मामला इन आरोपों से संबंधित है कि कोकाटे और उनके भाई विजय ने 1989 से 1992 के बीच आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शुरू की गई सरकारी आवास योजना के तहत धोखाधड़ी से लाभ उठाया था। यह योजना 30,000 रुपये तक की वार्षिक आय वाले आवेदकों तक सीमित थी। आरोप था कि भाइयों ने निर्धारित सीमा से कम आय घोषित करते हुए झूठे हलफनामे जमा किए और इसके परिणामस्वरूप उन्हें दो सरकारी फ्लैट आवंटित किए गए।

अभियोजन पक्ष का दावा था कि उस समय श्री कोकाटे अपनी वकालत और कृषि गतिविधियों से पात्रता सीमा से काफी अधिक कमा रहे थे। यह भी आरोप लगाया गया था कि उनके पिता के पास लगभग 25 एकड़ कृषि भूमि थी और श्री कोकाटे उस भूमि से स्थानीय कारखानों को गन्ना आपूर्ति करके महत्वपूर्ण आय अर्जित करते थे, जिसका खुलासा हलफनामों में नहीं किया गया था।

श्री कोकाटे को इस साल फरवरी में एक निचली अदालत ने दोषी ठहराया था। नासिक की एक सत्र अदालत ने 16 दिसंबर को दोषसिद्धि और दो साल के कारावास की सजा को बरकरार रखा था। सजा सुनाए जाने के बाद श्री कोकाटे ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया था। 12 दिसंबर को बॉम्बे उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने सजा निलंबित कर दी थी लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगाने से मना कर दिया था।

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