नयी दिल्ली , दिसंबर 1 -- उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का भतीजा होने का झूठा दावा करके एक व्यापारी के साथ 3.90 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले आरोपी को सोमवार को जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति जे.के.माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने कहा कि आरोपी पहले ही चार साल से ज्यादा समय हिरासत में बिता चुका है, जबकि वर्तमान में आरोपी के अपराधों के लिए अधिकतम सजा सात साल है।

न्यायालय ने यह भी दर्ज किया कि हालांकि आरोप 2022 में तय किए गए थे, लेकिन 34 गवाहों में से केवल पहले की ही जांच कराई गयी है, जो मुकदमे में धीमी प्रगति को दर्शाता है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने ज़मानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने यह दलील दी कि अभियोजन पक्ष का जालसाजी के आरोप जोड़ने का अनुरोध अभी भी लंबित है और उन्होंने आरोपी के खिलाफ लंबित अन्य मामलों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने यह आरोप लगाया कि यह धोखाधड़ी एक बड़े घोटाले का हिस्सा है, जिसमें उच्च संवैधानिक अधिकारियों के नामों का दुरुपयोग शामिल है।

हालांकि, पीठ इससे सहमत नहीं हुई। "हमें कानून के अनुसार चलना चाहिए; हम इधर-उधर नहीं जाएंगे।," न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा। शिकायतकर्ता की जिरह पूरी होने तक आरोपी को हिरासत में रखने की दलील को खारिज करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की, "नहीं, कुछ नहीं, अगर यह मामला पहले आया होता, तो हम पहले भी जमानत दे चुके होते।"याचिकाकर्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय के जमानत देने से इनकार करने के बाद उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

प्राथमिकी के अनुसार, आरोपी ने खुद को "अजय शाह" बताते हुए अमित शाह का भतीजा बताया था और राष्ट्रपति संपदा से जुड़े विभिन्न कार्यों के लिए चमड़ा आपूर्ति का 90 करोड़ रुपये का सरकारी टेंडर दिलाने की पेशकश की। शिकायतकर्ता ने कथित तौर पर कई बैठकों में नकद और आरटीजीएस के जरिये 3.90 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र के लिए आरोपपत्र दायर किया गया था। अभियोजन पक्ष ने बाद में आईपीसी की धारा 467, 471 और 120बी को शामिल करने के लिए आरोपों में संशोधन करने की मांग यह तर्क देते हुये की कि जाली चेक जमानत के तौर पर दिए गए थे।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित