नयी दिल्ली, सितंबर 28 -- ताइवान इलेक्ट्रानिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण क्षेत्र में भारत के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को और आगे बढ़ाते हुए हरित ऊर्जा और स्मार्ट मोबिलिटी के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाना चाहता है।
गत सप्ताह भारत मंडपम में आयोजित ताइवान इंडिया प्रदर्शनी में शामिल होने आये ताइवान विदेश व्यापार विकास परिषद के कार्यकारी निदेशक ब्रायन ली ने यूनीवार्ता से यह बात कही। उन्होंने भारत से सीमा शुल्क कम करने और बौध्दिक सम्पदा सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी मांग करते हुए कहा कि भारत और ताइवान के मध्य व्यापार सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। पिछले साल द्विपक्षीय व्यापार ने रिकॉर्ड 10.6 अरब डॉलर का आंकड़ा छुआ था। उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि आईसीटी, मशीनरी और हरित समाधानों में ताइवान के उत्पाद, भारत की तेज़ी से बढ़ती ज़रूरतों से मेल खाते हैं।
जब उनके पूछा गया कि दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार का क्या भविष्य है तो उन्होंने इसके उत्तर में कहा कि भारत "डिजिटल इंडिया", "मेक इन इंडिया" और "इंडियाएआई" को आगे बढ़ा रहा है और ताइवान इन क्षेत्रों में एक विश्वसनीय भागीदार हो सकता है। वह सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहनों और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत से और अधिक सहयोग की आशा करता है। उन्होंने सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान पर बल देते हुए कहा कि निश्चित रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर में दोनों देश व्यापार कर रहे हैं, पर साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा, स्मार्ट मोबिलिटी, स्वास्थ्य सेवा और खेल तकनीक भी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां ताइवान के पास समाधान हैं और भारत में इनकी भारी मांग है।
जब उनसे पूछा गया कि ताइवान का व्यापारिक समुदाय भारत से किस खास मुद्दे का समाधान चाहता है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नियमन आसान हो और बाज़ार में प्रवेश और अधिक सरल हो। सीमा शुल्क, मानकों का संरेखण और मज़बूत बौद्धिक संपदा सुरक्षा के मामलों में अगर और अधिक सुधार किया जाता है, तो ज़्यादा ताइवानी कंपनियां यहां तेज़ी से विस्तार करेंगी।
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