नयी दिल्ली , नवंबर 29 -- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) राजधानी में इंडिया गेट पर हुए नक्सली मामलों के प्रदर्शन की जांच करने को तैयार है। इस मामले में आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने नक्सल-समर्थक और मारे गए नक्सली माडवी हिडमा के पक्ष में नारेबाजी की थी। यह मामला अभी दिल्ली पुलिस के पास है।

अगर जांच एनआईए करेगी तो वह खुले तौर पर नक्सलियों का समर्थन करने के लिए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ प्राथमिकी में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारायें जोड़ सकती है। इस मामले में वर्तमान में 23 प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा चल रहा है।

एनआईए के सूत्रों ने बताया कि किसी प्रतिबंधित संगठन का खुले तौर पर समर्थन करना, उसके पक्ष में नारे लगाना और उनके लिए काम करना उनकी विचारधारा को फैलाने में सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है। यह अपराध की श्रेणी में आता है।

जांच के काम से जुड़े एक सूत्र ने यूनीवार्ता को बताया कि प्रदर्शनकारी, कथित तौर पर नक्सली आंदोलन का समर्थन कर रहे थे। सूत्र ने कहा, "हमें दो व्हाट्सएप समूहों का पता चला है जहाँ वे नक्सलियों का समर्थन कर रहे थे। समूह के एक सदस्य ने यह कहते हुए समूह छोड़ दिया कि उन्हें ऐसे आंदोलन का समर्थन नहीं करना चाहिए।"नयी दिल्ली पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) देवेश महला ने पहले तर्क दिया था कि प्रदर्शनकारी गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर आतंकवादी या नक्सली संगठनों के रूप में सूचीबद्ध समूहों के लिए नारे लगा रहे थे। उन्होंने कहा, "अगर कोई 18 साल का व्यक्ति नारे लगा रहा है, तो उसे पता होना चाहिए कि वह क्या कर रहा है।" उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की जाँच से पता चला है कि उसी समूह ने पहले प्रतिबंधित 'रेडिकल स्टूडेंट यूनियन' (आरएसयू) के लिए गीत गाए थे, जो माओवादी आंदोलन से भी जुड़ा हुआ है।

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