नयी दिल्ली , अक्टूबर 01 -- विशेषज्ञों ने रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद जारी बयान का स्वागत करते हुये कहा कि केंद्रीय बैंक ने घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती तथा वैश्विक चुनौतियों में संतुलन बनाने की कोशिश की है और चालू वित्त वर्ष में रेपो दर में एक और कटौती की उम्मीद है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि एमपीसी ने रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला किया है। अन्य नीतिगत दरों को भी यथावत रखा गया है। आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का विकास अनुमान बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा, खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है। केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग तथा अन्य क्षेत्रों में कई सुधारों की भी घोषणा की।

साख निर्धारक एवं बाजार अध्ययन एजेंसी क्रिसिल रेटिंग्स ने एक बयान में कहा कि वह चालू वित्त वर्ष में नीतिगत दरों में एक बार और कटौती की उम्मीद करता है। अमेरिका आयात शुल्क के मौजूदा स्तर पर वर्तमान वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जीडीपी वृद्धि पर बाहरी दबाव अधिक होगा। अमेरिकी आयात शुल्क का अधिक असर कुछ श्रम-प्रधान एमएसएमई कंपनियों पर पड़ेगा।

राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम (एनयूसीएफडीसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रभात चतुर्वेदी ने नये शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लाइसेंसिंग पर एक चर्चा पत्र प्रकाशित करने की घोषणा का स्वागत करते हुये कहा कि यूसीबी के छत्र संगठन के रूप में एनयूसीएफडीसी इसे वित्तीय समावेशन को गहरा करने, क्रेडिट प्रवाह में सुधार करने और भारत के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में यूसीबी की स्थिरता और विश्वसनीयता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानता है।

लोहिया वर्ल्डस्पेस के निदेशक पियूष लोहिया ने कहा, "आरबीआई का रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर बनाये रखने का निर्णय बाजार में स्थिरता लाने और विकास तथा मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाने का संकेत है। जीडीपी वृद्धि दर को 6.8 प्रतिशत तक संशोधित किया जाना खास तौर पर टियर-2 शहरों के लिए सकारात्मक है, जहां बढ़ती मांग के साथ किफायती और गुणवत्तापूर्ण आवास की जरूरत है।" बीएलएस ई-सर्विसेज लिमिटेड के चेयरमैन शिखर अग्रवाल ने कहा कि यह स्थिरता त्योहारों के मौसम के लिए सकारात्मक संकेत है, जब आमतौर पर उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी देखने को मिलती है।

कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के कार्यकारी उपाध्यक्ष (निवेश) चर्चिल भट्ट ने कहा कि आरबीआई के रेपो दर के प्रति रुख नरम करने के संकेत से सरकारी बान्ड के यील्ड (रिटर्न) के और बढ़ने की संभावना समाप्त हो गयी है। हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में एक बार और ब्याज दरों में कटौती संभव है। अल्फामनी के प्रबंधन पार्टनर ज्योति प्रकाश ने कहा, "आरबीआई गवर्नर का बयान सुनकर लगा कि एमपीसी के सदस्य भारतीय उत्पादों पर अमेरिकी आयात शुल्क को लेकर चिंतित हैं। हमें लगता है कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के बाद ही दरों में कटौती की जायेगी।"ग्रोथ इनवेस्टिंग के संस्थापक नरेंद्र सिंह ने कहा कि आरबीआई के बयान में संतुलित रुख दिखता है। उसने घरेलू स्तर पर मजबूती और वैश्विक स्तर पर जोखिम दोनों को ध्यान में रखा है। क्वांटेस रिसर्च के संस्थापक कार्तिक जोनागदला ने कहा कि आरबीआई के बयान में नीति को लेकर स्थिरता दिखती है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित