देहरादून , अक्टूबर 11 -- उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) द्वारा 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय लिखित परीक्षा शनिवार को निरस्त कर दी गयी। आयोग के सचिव डॉ. शिव बरनवाल ने परीक्षा निरस्त करने सम्बन्धी आदेश जारी करते हुए कहा कि तीन माह में नये सिरे से यह परीक्षा आयोजित की जाएगी।

आज सुबह ही परीक्षा की जांच को गठित एक सदस्यीय न्यायिक आयोग में उच्च न्यायालय उत्तराखंड के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी। जबकि इससे पहले शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी विधायकों ने मुख्यमंत्री से मिलकर परीक्षा निरस्त करने की मांग की। इसके बाद उन्होंने निरस्तीकरण की संस्तुति पर आयोग ने यह निर्णय किया।

आज जारी आदेश में कहा गया कि आयोग द्वारा गत नौ अप्रैल को स्नातक स्तरीय पदों की विज्ञप्ति के आधार पर 21 सितंबर को प्रदेश के समस्त जनपदों में लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया। निर्धारित तिथि को परीक्षा समाप्ति के पश्चात लगभग डेढ़ बजे सोशल मीडिया पर कुछ प्रश्नों के स्क्रीन शॉट वायरल हुए, जिसकी सूचना मिलने पर आयोग द्वारा तत्काल देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की गई। एसएसपी द्वारा प्राथमिक जाँच के आधार पर थाना रायपुर 22 सितंबर को मामला दर्ज किया गया। इसके बाद 27 सितंबर को सरकार द्वारा प्रकरण की जाँच हेतु कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 के अन्तर्गत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) यू सी ध्यानी के नेतृत्व में एक सदस्यीय, न्यायिक जाँच आयोग का गठन किया गया।

आयोग की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि 11 अक्टूबर को न्यायिक आयोग की अन्तरिम जाँच आख्या प्राप्त हुई। आयोग द्वारा आख्या का गहन अध्ययन कर विचार विमर्श किया गया। तदोपरान्त निर्णय लिया गया कि लिखित प्रतियोगी परीक्षाओं की गोपनीयता, शुचिता एवं पारदर्शिता के साथ-साथ परीक्षा का संदेह से परे होना भी आवश्यक है। परीक्षा के संबंध में उक्त प्रतियोगी परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों के साथ-साथ सामान्य जनमानस का पूर्ण विश्वास होना भी आवश्यक है। उक्त प्रकरण में विवेचना वर्तमान में प्रचलित है। आयोग द्वारा निर्णय लिया गया है कि परीक्षा की शुचिता, गोपनीयता, पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए 21 सितंबर को संपन्न उपरोक्त परीक्षा को निरस्त किया जाना समुचित होगा और तीन महीने के बाद फिर से परीक्षा आयोजित की जायेंगी।

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व, प्रतियोगी परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एकल सदस्यीय न्यायमूर्ति ध्यानी जांच आयोग ने आज मुख्यमंत्री धामी को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी। आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ध्यानी ने जनसुनवाई के जरिए अभ्यर्थियों से बात की थी। युवाओं के आंदोलन के बाद धामी सरकार ने केन्द्रीय जांच ब्यूरों जांच की सिफारिश के अलावा एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ध्यानी ने हल्द्वानी, टिहरी, देहरादून और अन्य स्थानों में सुनवाई कर युवा अभ्यर्थियों के तर्क सुने थे।

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