श्री आनंदपुर साहिब , नवंबर 23 -- बाबा बुड्ढा दल छावनी के मुख्य पंडाल में रविवार को आयोजित एक ऐतिहासिक सर्वधर्म सम्मेलन में सिख, हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्म के प्रसिद्ध आध्यात्मिक एवं धार्मिक नेताओं ने श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर नौवें गुरु की अनुपम शहादत को नमन किया।
पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामलों के मंत्री तरुनप्रीत सिंह सौंद ने सर्वधर्म सम्मेलन में पधारे आध्यात्मिक नेताओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन गुरु साहिब की महान विरासत पर गहन चिंतन-मनन करने का ऐतिहासिक मंच है और इसे समस्त मानवता के लिए पथ-प्रदर्शक बताया।
इस अवसर पर शिरोमणि पंथ अकाली बुड्ढा दल के जत्थेदार बाबा बलबीर सिंह, दमदमी टकसाल के मुखी बाबा हरनाम सिंह खालसा, बाबा सेवा सिंह रामपुर खेड़े वाले सहित कई सम्मानित सिख नेता उपस्थित रहे और प्रेम, सद्भावना, शांति तथा मानवता के संदेश "नाम जपो, वंड छको" का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी अनेकता में एकता की भावना का प्रतीक हैं, ताकि सभी धर्मों के अनुयायी आपस में मिल-जुल कर रह सकें।
बाबा कश्मीर सिंह भूरीवाले, बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों (राधा स्वामी सत्संग ब्यास के मुखी) तथा नानकसर संप्रदाय की ओर से बाबा घाला सिंह ने भी सम्मेलन में शिरकत की और जोर देकर कहा कि गुरु साहिब की शहादत मानवता के लिए मार्गदर्शक है।
नयी दिल्ली के जूडा हयाम सिनागॉग के मुख्य धार्मिक नेता डॉ. रब्बी एजेकाइल इसहाक मालेकर ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार की गुरु साहिब के 350वें शहीदी दिवस को पूरे श्रद्धा-भाव से मनाने की सराहना की। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं ने दबे-कुचले लोगों की निस्वार्थ सेवा, सिमरन और हिम्मत का मार्ग दिखाया। यह भक्ति और शक्ति का पूर्ण समन्वय है, जिसकी आज पूरी दुनिया को सख्त जरूरत है।
सेवा भावना को दोहराते हुए बौद्ध समाज के श्री भिक्खु संघसेना ने सिख समुदाय को राष्ट्र का गौरव बताया और कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी अनुकरणीय सेवा को रेखांकित किया। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि सिख धर्म की भावना को हमारे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा ले सकें।
आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल आश्रम के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने धर्म के लिए गुरु जी की अनुपम शहादत को श्रद्धांजलि दी, जबकि बिशप जोस सेबेस्टियन की ओर से फादर जॉन ने इसे पूरी दुनिया के लिए सर्वाेच्च उदाहरण बताया जो दूसरों के विश्वास और आस्था के लिए अपनी जान कुर्बान करने का एक महान कार्य है।
चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन एवं अजमेर शरीफ दरगाह के गद्दीनशीन हाजी सईद सलमान चिश्ती ने नौवें गुरु की शिक्षाओं को बड़े भावुक अंदाज में प्रस्तुत किया और कहा कि हिंद की चादर के महान बलिदान को संगतें सदा याद रखेंगी।
इस दौरान कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए भी गहरी भावनात्मक महत्ता पेश की जिनके प्रतिनिधियों ने अपने पूर्वजों की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के लिए गुरु साहिब द्वारा दिए गए बलिदान को कोटि-कोटि धन्यवाद किया।
इस सम्मेलन में आचार्य डॉ. लोकेश मुनी (जैन समाज), राजयोगिनी डॉ. बिन्नी सरीन (ब्रह्मा कुमारी), सैयद अफसर अली निजामी चेयरमैन, दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया, नई दिल्ली, महंत ज्ञानदेव (निर्मल अखाड़ा), श्रीमती जगद्गुरु शंकराचार्य देवदत्तानंद सरस्वती महाराज (दिल्ली) सहित कई अन्य महान धर्मगुरु शामिल हुए।
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