रायपुर, सितंबर 27 -- छत्तीसगढ़ जैसे जनजातीय बहुल राज्य में शिक्षा को सबसे बड़ी चुनौती माना जाता रहा है। विशेषकर बस्तर और सरगुजा जैसे दुर्गम एवं नक्सल प्रभावित अंचलों में बच्चों का विद्यालय तक पहुँचना मुश्किल रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा चलाए जा रहे आवासीय विद्यालयों और विशेष योजनाओं ने न केवल शिक्षा का दायरा बढ़ाया है बल्कि आदिवासी बच्चों को सुरक्षित वातावरण में पढ़ने-लिखने और आगे बढ़ने का अवसर दिया है।
यही कारण है कि आज राज्यभर के हजारों बच्चे राजधानी रायपुर से लेकर बस्तर की गहराइयों और सरगुजा की पहाड़ियों तक शिक्षा की नई रोशनी पा रहे हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग के आँकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 700 से अधिक आश्रम शालाएँ, लगभग 200 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और 40 से अधिक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन संस्थानों में कुल मिलाकर करीब 2.5 लाख छात्र-छात्राएँ शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन विद्यालयों में बच्चों को निःशुल्क आवास, पौष्टिक भोजन, पाठ्य सामग्री, वर्दी, स्वास्थ्य परीक्षण और खेलकूद की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और कोंडागांव जिलों में सर्वाधिक आवासीय विद्यालय और छात्रावास संचालित हो रहे हैं। हाल ही में सुकमा और बीजापुर में खुले नए एकलव्य विद्यालय से आदिवासी बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है।
सरगुजा संभाग के कोरिया, बलरामपुर और जशपुर जिलों में कस्तूरबा गांधी विद्यालयों के कारण विशेषकर आदिवासी बालिकाओं का ड्रॉपआउट रेट घटा है और उच्च शिक्षा तक उनकी पहुँच बनी है। राजधानी रायपुर सहित राजनांदगांव, दुर्ग और महासमुंद जिलों में तकनीकी शिक्षा परक छात्रावासों और स्मार्ट क्लास की व्यवस्था ने शहरी-ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई को एकसमान गति दी है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना ग्रामीण व आदिवासी अंचलों की बालिकाओं के लिए कक्षा 6 से 12 तक निःशुल्क आवासीय शिक्षा। प्रयास योजना - नक्सल प्रभावित जिलों के मेधावी विद्यार्थियों को रायपुर, अंबिकापुर और जगदलपुर में विशेष आवासीय विद्यालयों में रखकर आईआईटी, मेडिकल और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। दंतेवाड़ा का 'प्रयास विद्यालय' अब राष्ट्रीय स्तर पर मॉडल माना जा रहा है।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय - केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त योजना, जिसमें आदिवासी बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम की शिक्षा और आधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं। आश्रम शालाएँ व छात्रावास योजना - दूरस्थ गाँवों के बच्चों को विद्यालय से जोड़े रखने के लिए निःशुल्क आवासीय सुविधा।
प्रयास विद्यालय से हर साल दर्जनों विद्यार्थी जेईई और नीट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं में सफलता हासिल कर रहे हैं। कस्तूरबा विद्यालयों से हजारों आदिवासी बालिकाएँ अब स्नातक और व्यावसायिक शिक्षा तक पहुँच रही हैं।
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