उदयपुर , अक्टूबर 13 -- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य ने कहा है कि आदिवासियों की सुरक्षा, देखरेख, योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव का अध्ययन और मूल्यांकन करना आयोग का उद्देश्य है।

श्री आर्य सोमवार को उदयपुर में जिला परिषद सभागार में जिला स्तरीय समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 11 करोड़ 43 लाख आदिवासी रहते हैं। उन्होंने कहा कि उदयपुर भी एक आदिवासी बाहुल्य जिला है। अधिकारी ज्यादा से ज्यादा फील्ड का दौरा करें और जनजाति क्षेत्रों में रात्रि विश्राम करें, ताकि आदिवासियों की समस्याओं का पता चले। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम करें। आदिवासी मेहनती और स्वभाव से सरल होते हैं, वे अपनी समस्याएं बताने में झिझकते हैं। इसलिए अनुसूचित जनजाति वर्ग के उत्थान के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है।

श्री आर्य ने कहा कि जिनको वनाधिकार के पट्टे दिए गए हैं, उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ दिलाना सुनिश्चित किया जाए। वनाधिकार वालों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ देने का प्रावधान है। वनाधिकार पट्टे प्राप्त करने वाले ऐसे लोग जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से वंचित हैं, उनको एक महीने में लाभ दिलवाएं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए जिले में मनरेगा के तहत प्रधानमंत्री सड़क योजना और राजमार्ग के किनारे खाली जमीन पर नीम, करंजी और महुवा के पेड़ लगाने का सुझाव दिया।

श्री आर्य ने प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयों और उच्च शिक्षा में जनजाति समुदाय की भागीदारी के आंकड़ों पर चर्चा करते हुए कहा कि अनुसूचित जनजाति समुदाय में गरीबी दर सबसे अधिक है और इसी तरह इनकी पुरुषों एवं महिलाओं की साक्षरता दर भी अन्य वर्गों की तुलना में कम है। उन्होंने छात्र-शिक्षक अनुपात, अनुसूचित जाति बालिकाओं में बीच में विद्यालय छोड़ने, कुपोषण और संस्थागत प्रसव की स्थिति पर चिंता जताते हुए पूर्ण गंभीरता से कार्य करने की आवश्यकता बताई।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित