आणंद , दिसंबर 29 -- गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता और कृषिमंत्री जीतुभाई वाघाणी एवं पद्मश्री डॉ. जे. एम. व्यास की उपस्थिति में सोमवार को आणंद कृषि विश्वविद्यालय का 22वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया।
दीक्षांत समारोह में 387 स्नातक एवं 202 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में डिग्रियां प्रदान की गईं। इसके अतिरिक्त उत्कृष्ट शिक्षकों, शोधकर्ताओं एवं मेधावी विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल, सिल्वर मेडल, कैश प्राइज एवं अन्य पुरस्कार प्रदान किए गए। श्री देवव्रत ने इस अवसर पर वैश्विक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग की गंभीर समस्या का उल्लेख करते हुए कहा कि छोटी बीमारियों का उपचार संभव है, किंतु जब पर्यावरण पर अतिवृष्टि, अनावृष्टि या समुद्री तूफान जैसे बड़े संकट आते हैं, तब मनुष्य के पास उनका कोई समाधान नहीं होता।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इन सभी प्राकृतिक आपदाओं का मूल कारण मनुष्य समाज की लापरवाही है। पशु-पक्षी या अन्य जीव-जंतु नहीं, बल्कि केवल समझदार मानव समाज की लापरवाही प्रकृति के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। पर्यावरण के बिगड़ने के पीछे रासायनिक खेती को एक बड़ा कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि हरित क्रांति की आवश्यकता थी, लेकिन उसके प्रवर्तक डॉ. स्वामीनाथन ने भी यह स्पष्ट लिखा था कि रासायनिक खेती करते समय पारंपरिक कृषि को नहीं छोड़ना चाहिए। इस सलाह की अनदेखी के कारण किसान यूरिया-डीएपी पर एकतरफा निर्भर हो गए, जिससे देशभर की भूमि का संतुलन बिगड़ गया है।
राज्यपाल ने कहा कि यूरिया-डीएपी के अत्यधिक उपयोग से भूमि का ऑर्गेनिक कार्बन, जो पहले दो से 2.5 प्रतिशत था, घटकर आज 0.2 से 0.4 प्रतिशत रह गया है। जिन खेतों में ऑर्गेनिक कार्बन 0.5 प्रतिशत से कम होता है, वह भूमि बंजर हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन में पहले ही 10 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है और भूमि की गुणवत्ता घटने से उत्पादन कम, लागत अधिक तथा फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
श्री आचार्य देवव्रत ने रासायनिक खेती के मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले गंभीर दुष्परिणामों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि खेतों में उपयोग होने वाला यूरिया-डीएपी मिट्टी और पानी में घुल जाता है। नाइट्रोजन जब ऑक्सीजन के संपर्क में आती है, तब बनने वाली नाइट्रस ऑक्साइड गैस कार्बन डाइऑक्साइड से 312 गुना अधिक खतरनाक होती है। आज कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। इन समस्याओं का समाधान प्राकृतिक खेती है, जो जैविक खेती से भिन्न है।
कृषि मंत्री जीतुभाई वाघाणी ने इस अवसर पर कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है और यही युवाशक्ति राष्ट्र निर्माण की मुख्य धुरी है। उन्होंने विद्यार्थियों से केवल डिग्री तक सीमित न रहकर कृषि को आधुनिक तकनीक, डेटा एनालिसिस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ने का आह्वान किया। कृषि अब केवल श्रम नहीं, बल्कि विज्ञान और नवाचार का क्षेत्र बन चुकी है, जिसमें एग्री-स्टार्टअप और फूड प्रोसेसिंग जैसी असीम संभावनाएं हैं।
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