बीकानेर , दिसंबर 26 -- केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा है कि आज युद्ध सीमाओं पर नहीं, बल्कि मस्तिष्क में लड़े जा रहे हैं और एक झूठा संदेश भी पूरे समाज को भ्रमित कर सकता है, इसलिए वैचारिक सजगता पहले से अधिक आवश्यक है।
श्री शेखावत शुक्रवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 61वें प्रांतीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत इस समय केवल आर्थिक या राजनीतिक परिवर्तन के दौर से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, वैचारिक और मानसिक पुनर्जागरण के ऐतिहासिक कालखंड से गुजर रहा है। ऐसे समय में देश की युवा शक्ति की भूमिका सबसे अधिक निर्णायक है। उन्होंने कहा कि आज की चुनौतियां तलवारों से नहीं, बल्कि विचारों के माध्यम से सामने आ रही हैं। इनका प्रतिकार केवल जागरूक, राष्ट्रवादी और वैचारिक रूप से सशक्त युवा ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एबीवीपी जैसे राष्ट्रवादी संगठन से जुड़ना जितना गौरव का विषय है, उतना ही बड़ी जिम्मेदारी भी है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे संगठन की वैचारिक विरासत को समझें, उसे जिएं और आगे बढ़ाएं। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत का यह संक्रमण काल सफलतापूर्वक पूरा होगा और इसमें युवा शक्ति की भूमिका निर्णायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि एबीवीपी कार्यकर्ता 'डिजिटल वॉरियर' बनकर सत्य, तथ्य और राष्ट्रहित के पक्ष में खड़े हों।
उन्होंने कहा कि उनके लिए यह कार्यक्रम किसी औपचारिक उद्घाटन से अधिक अपनी जड़ों से जुड़ने जैसा है। उनका सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन विद्यार्थी परिषद के एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में प्रारंभ हुआ और आज जो भी दायित्व उन्हें मिला है, उसका बीज इसी संगठन में पड़ा। एबीवीपी केवल आंदोलनों का मंच नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रयोगशाला है।
उन्होंने कहा कि पिछले 30-35 वर्षों में देश की परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। कभी जिन मुद्दों को लेकर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता आंदोलन करते थे, जैसे अनुच्छेद 370, राम मंदिर या सीमाओं की सुरक्षा, आज वे राष्ट्रीय संकल्प के रूप में पूरे हो चुके हैं। भारत की सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि संदर्भ बदल गए हैं लेकिन चुनौतियां समाप्त नहीं हुई हैं। आज देश को झूठे नैरेटिव्स, सांस्कृतिक प्रदूषण और इतिहास के विकृतीकरण से खतरा है। डिजिटल माध्यमों से भ्रम फैलाने की कोशिशें की जा रही हैं और राष्ट्र गौरव को कमजोर करने का प्रयास हो रहा है।
श्री शेखावत ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी सबसे सौभाग्यशाली है, क्योंकि उसे भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में भागीदार बनने और विकसित भारत में जीने, दोनों का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की पीढ़ी ने देश को आजाद कराया, आने वाली पीढ़ियां विकसित भारत में जन्म लेंगी लेकिन वर्तमान पीढ़ी ही वह पीढ़ी है, जो यह कह सकेगी कि 'हमने भारत को विकसित बनाया।'उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे चाहे जिस क्षेत्र में जाएं, शिक्षा, तकनीक, प्रशासन, चिकित्सा या उद्यमिता, अपना लक्ष्य राष्ट्र निर्माण से जोड़ें। शिक्षक केवल पढ़ाने तक सीमित न रहें, बल्कि विकसित भारत की पीढ़ी गढ़ने का दायित्व समझें। उन्होंने कहा कि यह अधिवेशन केवल विचार-विमर्श का मंच नहीं बल्कि संकल्प का स्थल है। यहां से निकले विचार केवल सभागार तक सीमित न रहें, बल्कि हर परिसर, हर गांव और हर नगर तक पहुंचें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को राष्ट्रवादी चेतना का वाहक बनकर समाज में वैचारिक नेतृत्व देना होगा।
श्री शेखावत ने कहा कि भारत इस समय केवल आर्थिक या राजनीतिक परिवर्तन के दौर से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, वैचारिक और मानसिक पुनर्जागरण के ऐतिहासिक कालखंड से गुजर रहा है। ऐसे समय में देश की युवा शक्ति की भूमिका सबसे अधिक निर्णायक है। उन्होंने कहा कि आज की चुनौतियां तलवारों से नहीं, बल्कि विचारों के माध्यम से सामने आ रही हैं। इनका प्रतिकार केवल जागरूक, राष्ट्रवादी और वैचारिक रूप से सशक्त युवा ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एबीवीपी जैसे राष्ट्रवादी संगठन से जुड़ना जितना गौरव का विषय है, उतना ही बड़ी जिम्मेदारी भी है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे संगठन की वैचारिक विरासत को समझें, उसे जिएं और आगे बढ़ाएं। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत का यह संक्रमण काल सफलतापूर्वक पूरा होगा और इसमें युवा शक्ति की भूमिका निर्णायक सिद्ध होगी।
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