रांची, 01दिसंबर (वार्ता) झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य के ब्लड बैंक को लेकर प्रदेश सरकार पर निशान साधा है।
श्री मरांडी ने आज अपने सोशल मीडिया अकाउंट लिखा कि, ब्लड बैंक पर राज्य सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है, ताकि ज़रूरत पड़ने पर मरीजों को सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाला रक्त मिल सके। लेकिन हकीकत यह है कि खून चढ़ाने से पहले उसकी गुणवत्ता की उचित जाँच तक नहीं की जाती।
चाईबासा सदर अस्पताल में मरीजों से ही जबरन एक स्वघोषित जिम्मेदारी पत्र लिखवाया जा रहा है कि वे जो रक्त लेकर आए हैं, वह पूरी तरह सुरक्षित है। यानी यदि किसी तरह की गड़बड़ी हो जाए तो उसकी ज़िम्मेदारी अस्पताल की नहीं, बल्कि मरीज की होगी!उन्होंने कहा कि जब सरकार ब्लड बैंकों पर इतना खर्च कर रही है, तब खून की जांच और प्रमाण की जिम्मेदारी मरीजों पर क्यों डाली जा रही है? जिन थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों और गंभीर मरीजों को सरकारी अस्पतालों से सहारा मिलना चाहिए, उन पर जोखिम का बोझ क्यों डाला जा रहा है? @हेमंतसोरेन जी, ज़वाब दीजिए कि ब्लड बैंक पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपये का उपयोग आखिर हो कहां रहा है?वहीं श्री मरांडी ने लिखा कि, धान की फ़सल तैयार होने के बावजूद राज्य सरकार ने अभी तक खरीदारी प्रक्रिया शुरू नहीं की है। इस देरी के कारण किसानों में निराशा बढ़ रही है और सरकार की नियत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
खरीदारी नहीं खुलने के चलते किसान मजबूरी में अपने धान को बिचौलियों के हाथों महज 14-15 रुपए प्रति किलो के हिसाब से औने-पौने दामों पर बेच रहे हैं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। @हेमंत सोरेन जी, किसानों की मेहनत का उचित मूल्य न मिलना बेहद चिंताजनक है। बिचौलियों पर नकेल कसते हुए तत्काल सभी जिलों में क्रय केंद्र शुरू कराएं।
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