इस्लामाबाद , दिसंबर 25 -- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने विदेश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की ओर से भेजे जाने वाले धन के लिए सरकारी खर्चों को सीमित करने का अनुरोध किया है, जिससे विश्लेषकों में चिंता बढ़ गयी है कि इस कटौती से मौद्रिक प्रवाह अवैध हवाला और हुंडी चैनलों की ओर बढ़ सकता है। इससे आर्थिक संकट और गहरा सकता है।

वैश्विक ऋणदाता की यह सिफारिश इस महीने की शुरुआत में जारी एक स्टाफ-स्तरीय रिपोर्ट में आयी है, जो इस्लामाबाद को प्रदान किये गये सात अरब डॉलर (628.80 अरब रुपये) के बेलआउट पैकेज की दूसरी समीक्षा के बाद जारी की गयी थी।

निक्केई एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, देश के अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि इन प्रोत्साहनों को कम करना आधिकारिक बैंकिंग नेटवर्कों को कमजोर कर सकता है, जिन्होंने विदेश में रहने वाले पाकिस्तानियों से आने वाले धन को औपचारिक और कानूनी वित्तीय चैनलों के माध्यम से निर्देशित करने में सहायता की है।

आईएमएफ ने अपनी समीक्षा में कहा कि सीमा पार भुगतान की लागत को कम करना और संरचनात्मक बाधाओं से बचना, सरकार के वित्तपोषित प्रोत्साहनों की निरंतर आवश्यकता को कम करने में मदद कर सकता है। आईएमएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में आने वाले धन से जुड़ी बाधाओं और लागतों की समीक्षा करने और एक कार्रवाई योजना तैयार करने की योजना बना रहा है। साथ ही वह मौजूदा प्रोत्साहन योजनाओं के लिए राजकोषीय समर्थन को काफी हद तक घटायेगा।

अपने नागरिकों के जरिये विदेशों से आने वाला धन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की आधारशिला हैं और यह विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा स्रोत हैं। 30 जून को वित्तीय वर्ष के अंत में इस्लामाबाद को 38 अरब डॉलर (3,413.5 अरब रुपये) से अधिक विदेशों से आये, जो पाकिस्तान को निर्यात से मिलने वाले करीब 32 अरब डॉलर (2,874.5 अरब रुपये) से भी ज्यादा हैं।

विदेशों में रह रहे पाकिस्तानियों से आने वाला धन अर्थव्यवस्था में कितनी बड़ी भूमिका निभाते हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश करीब 2 अरब डॉलर (179.66 अरब रुपये) तक सीमित रहा।

इसलिए, सरकार आधिकारिक चैनलों के माध्यम से विदेशों से आने वाले धन को प्रोत्साहित करती है, जिसमें बैंक में भेजी जाने वाली हर धनराशि पर नकद छूट, निष्ठा आधारित प्रोत्साहन राशि और विनिमय कंपनियों को नकद रियायतें दी जाती हैं।

ये लाभ विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को बेहतर विनिमय दर या छोटे बोनस के रूप में दिये जाते हैं। इससे औपचारिक चैनल गैर-औपचारिक नेटवर्क की तुलना में अधिक आकर्षक हो जाते हैं।

पाकिस्तानी विश्लेषकों के अनुसार, ये प्रोत्साहन हाल के वर्षों में आधिकारिक तौर पर विदेशों से आने वाले धन में निरंतर वृद्धि के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक रहे हैं, जिससे पाकिस्तानी रुपया स्थिर हुआ और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम हुआ।

वे चेतावनी देते हैं कि किसी भी तरह की अधिक कटौती से आधिकारिक और अनौपचारिक दरों के बीच अंतर कम हो सकता है, जिससे नियंत्रण और निगरानी के लिए कठिन धन स्थानांतरण प्रणाली का चोर दरवाजा फिर से खुल सकता है।

पाकिस्तान के 'बाहरी खाते' नाजुक बने हुए हैं। देश ने पिछले वित्तीय वर्ष में करीब 27 अरब डॉलर (2,425.41 अरब रुपये) का व्यापार घाटा दर्ज किया, जिससे भुगतान संतुलन पर दबाव बना रहा।

अपने नागरिकों के जरिये विदशों से आने वाला मजबूत धन प्रवाह ने इस अंतर को कम करने में मदद की और पाकिस्तान को लगभग 2 अरब डॉलर (179.66 अरब रुपये) का मामूली चालू खाता अधिशेष दर्ज करने की अनुमति दी।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित