गांधीनगर , अक्टूबर 01 -- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर (आईआईटीजीएन) में 'गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज के 10 वर्ष, गुरुत्वीय भौतिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाना' विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कियाजा रहा है, जो छह से 10 अक्टूबर 2025 तक चलेगा।
आईआईटी जीएन की ओर से बुधवार को यहां बताया गया कि यह आयोजन 2015 में गुरुत्वाकर्षण तरंगों की पहली खोज की दसवीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए भारत और विदेश के प्रमुख वैज्ञानिकों को एक साथ लाएगा। यह खोज अल्बर्ट आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत की सौ वर्ष पुरानी भविष्यवाणी की पुष्टि करती है और हमारे ब्रह्मांड की समझ में क्रांति लाती है। पांच दिवसीय इस बैठक में तकनीकी संगोष्ठियां, गहन चर्चायें और 'लिगो इंडिया' पहल पर एक विशेष सत्र आयोजित होगा, जिसका उद्देश्य छात्रों और विज्ञान प्रेमियों को प्रेरित करना है। गुरुत्वीय भौतिकी के सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए यह सभा पिछले दशक की उल्लेखनीय प्रगति पर विचार करने और आधुनिक विज्ञान की सबसे रोमांचक सीमाओं में से एक के भविष्य की दिशा तय करने का मंच बनेगी।
तीस से अधिक प्रतिष्ठित शोधकर्ताओं के भाग लेने की उम्मीद है। प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों में ब्रूस एलन और मारिया अलेसांद्रा पापा (मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर ग्रैविटेशनल फिजिक्स, जर्मनी), थॉमस सोतिरियू (यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम, यूके), अलेक्ज़ेंडर निट्ज़ (सिराक्यूज़ यूनिवर्सिटी, अमेरिका), एंड्रिया मसेली (ग्रान सासो साइंस इंस्टीट्यूट, इटली), और डेविड हिल्डिच (सेंट्रा, पुर्तगाल) शामिल हैं। भारत के भी कई प्रमुख संस्थानों जैसे अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी केंद्र (आईयूसीएए) पुणे, अंतरराष्ट्रीय सैद्धांतिक विज्ञान केंद्र (आईसीटीएस) बेंगलुरु, रामन अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु (आरआरआई बेंगलुरु), टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान, मुंबई (टीटीएफआर मुंबई), चेन्नई गणितीय संस्थान (सीएमआई चेन्नई), साहा परमाणु भौतिकी संस्थान (एसआईएनपी) कोलकाता, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान कोलकाता (आईआईएसईआर कोलकाता) और विभिन्न विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से वैज्ञानिक इसमें योगदान देंगे।
बैठक में भारतीय वैज्ञानिकों के पहले गुरुत्वाकर्षण तरंग की खोज में निर्णायक योगदान को रेखांकित किया जाएगा। अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी केंद्र (आईयूसीसीए) के संजीव धुरंधर ने 1990 के दशक में डेटा विश्लेषण तकनीकों की नींव रखी थी, जिसने इस खोज में मूलभूत भूमिका निभाई। अन्य प्रमुख भारतीय प्रतिभागियों में अर्चना पाई (आयआयटी बॉम्बे, लिगो-इंडिया वैज्ञानिक सहयोग की अध्यक्ष) और राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआरसीएटी इंदौर) के सेंधिल राजा शामिल हैं, जो आने वाले लिगो-इंडिया डिटेक्टर के निर्माण का नेतृत्व कर रहे हैं।
प्रोफेसर सुदीप्त सरकार ने कहा, "गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज ने ब्रह्मांड को देखने की एक क्रांतिकारी नई खिड़की खोल दी है। खगोलभौतिकीय खोजों से परे, गुरुत्वीय तरंग भौतिकी आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत की जाँच का अद्भुत अवसर प्रदान करती है और यह नई गुरुत्वाकर्षण की विधियों की ओर भी संकेत कर सकती है ।"प्रो. आनंद सेंगुप्ता ने कहा, "आगामी लिगो-इंडिया डिटेक्टर हमारे देश को वैश्विक गुरुत्वीय तरंग नेटवर्क के केंद्र में ला देगा। यह सम्मेलन एक उत्सव भी है और उस ज़िम्मेदारी के लिए तैयार होने का आह्वान भी" । अंतर्विषयक अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर अपने मजबूत जोर के लिए प्रसिद्ध आईआईटीजीएन इस सभा की मेजबानी करते हुए गर्व महसूस कर रहा है, ऐसे समय में जब गुरुत्वाकर्षण तरंग विज्ञान तीव्र विस्तार और खोज के युग में प्रवेश कर रहा है।
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