लखनऊ , नवम्बर 26 -- भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) लखनऊ ने डॉक्टोरल शोध को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अपनी विशेष पहल ''99 मूनशॉट्स - 1999 बैच फेलोशिप'' की शुरुआत की है। यह फेलोशिप आईआईएम लखनऊ के पोस्ट-ग्रेजुएट प्रोग्राम (पीजीपी) के 1999 बैच द्वारा संस्थान को प्रदान की गई है, जिसका उद्देश्य उच्च-गुणवत्ता वाले शोध कार्य को बढ़ावा देना और संस्थान की शैक्षणिक प्रतिष्ठा को मजबूत करना है।

फेलोशिप के पहले प्राप्तकर्ताओं के रूप में मिस आयुषी सिंह (ऑपरेशंस एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट) और मिस्टर सतीश कुमार (स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट) का चयन किया गया है।

आईआईएम लखनऊ के निदेशक प्रो. एम.पी. गुप्ता ने बुधवार को इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि 1999 बैच का यह योगदान शोध उत्कृष्टता के प्रति उनके गहरे समर्पण को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि दोनों चयनित शोधार्थी भविष्य के प्रभावी शोध की दिशा तय करेंगे।

डीन (प्रोग्राम) प्रो. संजय सिंह ने भी 1999 बैच के सदस्यों का आभार व्यक्त किया और इसे शोधार्थियों के लिए प्रेरणादायी कदम बताया। 1999 बैच के सदस्य अशिष भगारे ने कहा कि यह फेलोशिप संस्थान की वैश्विक रैंकिंग और शोध उत्पादन को मजबूत करने की दिशा में उनका सामूहिक प्रयास है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष दो पीएचडी शोधार्थियों का चयन किया गया है और आने वाले समय में और भी छात्रों को सहायता प्रदान की जाएगी।

गौरतलब है कि डॉक्टोरल प्रोग्राम के चेयरमैन प्रो. पुष्पेन्द्र प्रियदर्शी ने कहा कि यह पहल आईआईएम लखनऊ की शोध प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करेगी और अधिक पूर्व छात्र इस दिशा में आगे आएंगे। फेलोशिप चयन प्रक्रिया में आवेदकों को अपने शोध प्रस्तावों को चयन समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। फेलोशिप में शामिल प्रावधानों के तहत शीर्ष श्रेणी (कैटेगरी ए) की पत्रिकाओं में शोध प्रकाशित होने पर एक लाख रुपये का प्रकाशन पुरस्कार, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध प्रस्तुत करने हेतु तीन लाख रुपये का सम्मेलन अनुदान, तथा शोध कार्य हेतु आवश्यक शैक्षणिक सहायता भी प्रदान की जाएगी।

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