लखनऊ , नवम्बर 30 -- उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि 21वीं सदी की भागदौड़ भरी और असंतुलित जीवनशैली मानसिक तनाव के बढ़ते मामलों की मुख्य वजह है।

लोग भ्रमित विचारों के साथ आंतरिक संघर्ष में उलझे रहते हैं, जिससे तनाव विकार तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि योग के आसन, प्राणायाम, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा की पद्धतियाँ तनाव कम करने और मन को संतुलित रखने में अत्यंत कारगर हैं। उन्होंने कहा कि "तनाव-मुक्त जीवन के लिए संतुलित, सरल और अनुशासित जीवनशैली न केवल आवश्यक, बल्कि अनिवार्य है।"रविवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के द्वितीय परिसर स्थित विश्वकर्मा सभागार में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से तनाव प्रबंधन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में शामिल एमएलसी पवन सिंह चौहान ने कहा कि नियमित योगाभ्यास व्यक्ति को संपूर्णता की ओर ले जाता है। योग तनाव से जुड़ी बीमारियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि लाता है।

कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो. एम.एल.बी. भट्ट ने बताया कि वैज्ञानिक शोध यह प्रमाणित करते हैं कि ध्यान के अभ्यास से शरीर में सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे आनंददायक हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे तनाव स्वाभाविक रूप से घटता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने तनाव विकारों और अवसाद को और बढ़ाया है, ऐसे में योग की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है।

कुलपति प्रो. मनुका खन्ना ने कहा कि तनाव आज वैश्विक समस्या है। इससे हर आयु वर्ग प्रभावित हो रहा है। तनावग्रस्त व्यक्तियों के शरीर में हार्मोन्स का स्तर असंतुलित हो जाता है, जिससे शरीर की क्रियाएँ बाधित होती हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। उन्होंने इस प्रकार के कार्यक्रमों को मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण बताया।

पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि योग शरीर की उत्तेजना को कम कर कार्यप्रणाली को लयबद्ध बनाता है। तनाव की स्थिति में प्राणायाम मन और शरीर के बीच सेतु का काम करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।

आयोजक डॉ. अमरजीत यादव ने बताया कि 2024 के सर्वे के अनुसार भारत की 53 प्रतिशत शहरी आबादी तनाव से प्रभावित है। नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे के अनुसार देश के 10.6 प्रतिशत वयस्क किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि शवासन, भुजंगासन, गौमुखासन, अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम तनाव कम करने के अत्यंत प्रभावी उपाय हैं।

इस अवसर पर गोवा के डॉ. देवेश कुमार श्रीवास्तव, देहरादून की डॉ. सरस्वती काला, पतंजलि विश्वविद्यालय की डॉ. आरती यादव और सूलिनी विश्वविद्यालय के डॉ. निधीश यादव ने योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के व्यावहारिक, शोध-आधारित उपाय साझा किए।

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