अलवर , दिसम्बर 23 -- राजस्थान के अलवर में उच्चतम न्यायालय द्वारा अरावली की नयी परिभाषा घोषित करने के विरोध में युवाओं और सामाजिक संगठनों ने मंगलवार को 'अरावली बचाओ' अभियान के तहत रैली निकाली।
यह रैली घोड़ा फेर चौराहे से शुरू हुई जो शहर के मुख्य बाजारों से होती हुई शहीद स्मारक नगली सर्किल पहुंची।
सामाजिक कार्यकर्ता सपात खान ने बताया कि अभी तो यह संदेश देने के लिए शुरुआत है और सरकार भले ही एक-दो वर्ष शोर शराबा करके हमें शांत कर दे, लेकिन हम शांत बैठने वाले नहीं हैं। पच्चीस दिसम्बर को जयपुर में एक बैठक होगी और बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस द्वारा वर्ष 2010 में यह प्रस्ताव लाया गया था, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था, फिर 15 वर्ष बाद केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को ला रही है। यह कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लड़ाई नहीं है, यह जनता की लड़ाई है।
सामाजिक कार्यकर्ता देवेंद्र चौहान ने बताया कि 'अरावली बचाओ' अभियान लंबा चलेगा। उन्होंने कहा, " हम किसी भी स्थिति में अवैध खनन नहीं होने देंगे और जो सांसद कह रहे हैं। हमें अगर संतुष्ट कर सकते हैं तो अरावली को लेकर वह विधेयक लेकर आयें। अब एक भी खान को स्वीकृत नहीं होने देंगे न चलने देंगे। सरदार वीरेंद्र ने कहा, " हम पहाड़ियों के नीचे रहते हैं। यह हमारी सभ्यता है और गांव की जीवन शैली है। हम इसको किसी भी रूप में नष्ट नहीं होने देंगे। ऐसा नहीं है कि हम रैली निकालकर चुप हो जाएंगे। हमें हमारी सांसों को बचाने के लिए संकल्प लेना होगा। राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में भी पहाड़ियां खत्म होने से उनकी खेती भी खत्म होगी। "छात्र नेता विष्णु चावड़ा ने कहा कि अरावली को किसी भी रूप में खत्म नहीं होने देंगे ।अरावली की जो नयी परिभाषा है ,यह माफियाओं को बेचने के लिए है। युवाओं में आक्रोश है और आंदोलन के रूपरेखा तैयार की जा रही है।
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