अलवर , दिसम्बर 25 -- राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने कहा है कि 'अरावली बचाओ' आंदोलन के तहत 27 दिसम्बर को एक बड़ा जन जागरण अभियान शुरू करेंगे।
श्री जूली ने गुरुवार को यहां पत्रकारों से कहा कि इस आंदोलन के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा, जितेंद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, कांग्रेस के नेता सचिन पायलट को भी आमंत्रित किया गया है। इसमें जनप्रतिनिधि कांग्रेस के कार्यकर्ता एवं प्रकृति प्रेमी भी शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि एक तरफ पहाड़ी को संरक्षित किया जा रहा है, दूसरी तरफ अवैध खनन किया जा रहा है। अलवर में अरावली पहाड़ियों के बीच भरतरी जी का बड़ा धाम है। पांडुपोल हनुमान जी हैं। इसके अलावा कई धार्मिक स्थल हैं। अगर अरावली की परिभाषा को बदला गया, तो इन पर संकट पैदा होगा। उन्होंने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के बयान को जनता में भ्रम पैदा करने वाला बताया।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री के सामने ऐसी क्या मजबूरी है जो अरावली माता को भी दांव पर लगा दिया। सौ मीटर के नियम से तो एक प्रतिशत अरावली ही नियम से बचेगी। नब्बे प्रतिशत पहाड़ियां अवैध खनन की जद में होंगी। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से जो आदेश दिखाया गया है, वह तो पहले से ही है।
श्री जूली ने आरोप लगाया कि किसी लालच में ही अरावली का सौदा किया जा रहा है। सरकार अपने उद्योगपति मित्रों को खानें देना चाहती है। अभी 20 से अधिक लीज भाजपा सरकार ने दी हैं।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के बयान को पूरी तरह भ्रमित करने वाला बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री से भी सवाल किया और कहा कि अपने भाषणों में कहा कि अरावली को कुछ नहीं होने देंगे, लेकिन वह भी सही तरीके से स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे हैं । इस बारे में सरकार का क्या रुख है, केन्द्र सरकार का क्या रुख है, दोनों मंत्रियों का क्या रुख है? श्री जूली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की एक ही गाइडलाइन से अरावली की पूरी परिभाषा बदल जाएगी।
श्री जूली से जब पूछा गया कि अभी केंद्र सरकार ने अवैध खनन पर रोक लगायी है और नयी खान देने पर रोक लगायी है, तो इस पर उन्होंने कहा कि यह सब भ्रमित करने वाला है। अगर उनको रोक लगानी है, तो उनका विभाग उच्चतम न्यायालय जाये और सरकार एक विधेयक लेकर आये। वह अपना आंदोलन खत्म कर देंगे।
गहलोत सरकार के राज में अवैध खनन के सवाल पर उन्होंने कहा कि आरोप गलत हैं। तत्कालीन सरकार काफी कार्रवाई की थी। उन्होंने स्वीकार किया कि अवैध खनन पहले भी होता था, लेकिन कार्रवाई ज्यादा की और राजस्व भी ज्यादा संग्रहीत किया। अरावली के अलावा भी राजस्थान में बहुत सी पहाड़ियां ऐसी हैं, जो अरावली के दायरे में नहीं आती। उक्त नियम के अनुसार खनन के पट्टे जारी किये गये होंगे। उन्होंने खुद अवैध खनन के खिलाफ हमेशा लड़ाई लड़ी है। श्री जूली ने कहा कि अगर उच्चतम न्यायालय अरावली की पहाड़ियों पर खनन पर रोक लगाता है, तो वह अपना आंदोलन खत्म कर देंगे।
संकटग्रस्त बाघ आवास (सीटीएच) के सवाल पर उन्होंने कहा कि अपने उद्योगपति मित्रों को खानें देने के लिए सीटीएच का दायरा बदला जा रहा है, जो दायरा बढ़ाया जा रहा है वहां रजिस्ट्री बंद हो जाएगी। व्यवसाय गतिविधियों पर रोक लग जाएगी और उनका फायदा सीधा उद्योगपति मित्रों को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अरावली की पहाड़ियों का मामला 1992 से चल रहा है। वर्ष 2010 में उनकी भी डबल इंजन सरकार थी। केंद्र सरकार में राजस्थान सरकार में और उच्चतम न्यायालय में उस कार्रवाई को छोड़ दिया, लेकिन अब 15 वर्ष इस इस मामले को यह सरकार क्यों लेकर आयी है, सिर्फ इनका एक ही मकसद है, अब अरावली की पहाड़ियों को नष्ट कर करके अपने चहेतों को खानें देना। राजस्थान की अरावली की पहाड़ियों में तो सोने-चांदी के भंडार हैं, हो सकता है कि उन भंडारों पर भी इन्हीं उद्योगपति दोस्तों का कब्जा हो।
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