अभनपुर, सितंबर 28 -- छत्तीसगढ़ के अभनपुर में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 25 से 27 सितंबर तक तीन दिवसीय कार्यशाला 'पोषण भी, पढ़ाई भी' का आयोजन किया गया। इसमें 12 सेक्टरों से सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

इस कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों जिनमें अनौपचारिक स्कूली शिक्षा और प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा को मज़बूत करने पर बल दिया गया। एनईपी 2020 के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों को केवल पोषण संबंधी स्थल नहीं माना गया है, बल्कि बच्चों की संज्ञानात्मक, भाषा. शारीरिक एवं मानसिक और सामाजिक विकास की पहली सीढ़ी के रूप में भी देखा गया है। तीन दिवसीय इस कार्यशाला में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने एपईपी 2020 के इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विकास के आयामों से संबंधित दैनिक गतिविधियों का डेमो के माध्यम से क्षमतावर्धन किया गया।

इस अवसर पर परियोजना अधिकारी - रचयिता नायडू ने अपने उद्बोधन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुये कहा,"पोषण भी, पढ़ाई भी जैसी पहलें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नए तरीकों से जोड़कर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा देने में सहायक सिद्ध होंगी। सेक्टर सुपरवाइजर्स और सभी अन्य मास्टर ट्रेनर्स के अनुभव-आधारित मार्गदर्शन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थानीय चुनौतियों को समझने और व्यवहारिक समाधान अपनाने में मदद करेगा। 'पोषण भी, पढ़ाई भी' जैसी पहल न केवल शिक्षा और पोषण को जोड़ती है बल्कि स्वास्थ्य, पोषण और प्रारंभिक शिक्षा के एकीकृत मॉडल को जमीनी स्तर पर लागू करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।

इस कार्यशाला के दौरान सभी सेक्टर पर्यवेक्षक - श्रीमती कांता लकड़ा, स्मिता ध्रुव, रेखा साहू, रेखा राजपूत, वैशाली देवांगन, रश्मिदेवी वर्मा, कंचनप्रभा साहू, खेमेश्वरी साहू, सरोज खोबरागढ़े और कुसुम सिंह ठाकुर सहित विभिन्न संस्थाओं - यूनिसेफ, विक्रमशिला, एडुवीव सहित अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन की भागीदारी और सहयोग उल्लेखनीय रहा।

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