गाजीपुर , अक्टूबर 11 -- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की पहचान उसकी आध्यात्मिक चेतना में है और जब तक भारत का नागरिक अपनी आध्यात्मिकता और राष्ट्रीयता के भाव से कार्य करेगा, तब तक देश को विश्वगुरु के रूप में स्थापित होने से कोई नहीं रोक सकता।
योगी शनिवार को गाजीपुर स्थित सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ परिसर में आयोजित 'राष्ट्रीय एकता एवं सामाजिक समरसता विषयक प्रबुद्धजन संवाद संगम' में बोल रहे थे। उन्होने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें भगवती मां परम्बा बुढ़िया देवी के दर्शन और 900 वर्ष पुरानी संन्यासी परंपरा के इस सिद्ध पीठ में पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नंदन यति जी महाराज के सानिध्य में उपस्थित होने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि यह पीठ न केवल अध्यात्म का केंद्र है, बल्कि लोकमंगल और राष्ट्रीय एकता का भी सशक्त माध्यम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राम मंदिर निर्माण केवल एक धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि भारत की आत्मा के पुनर्जागरण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब करोड़ों रामभक्तों ने संकल्प लिया था 'राम लला हम आएँगे, मंदिर वहीं बनाएँगे', तब लोगों ने इसे असंभव माना था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और पूज्य संतों के आशीर्वाद से यह संकल्प अब साकार है। सीएम योगी ने कहा कि 2020 में राम मंदिर की आधारशिला रखे जाने से लेकर 2024 में भगवान श्रीराम के अपने गर्भगृह में विराजमान होने तक की यात्रा भारत की आस्था, एकता और संकल्प शक्ति की मिसाल है। उन्होंने बताया कि अयोध्या में चारों द्वारों का नाम चार प्रमुख आचार्यों शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य और माधवाचार्य के नाम पर रखा गया है।
उन्होने रामायण की कथाओं से प्रेरणा लेते हुए अयोध्या के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को महर्षि वाल्मीकि के नाम, राम मंदिर परिसर में सप्त ऋषियों व तुलसीदास की प्रतिमाएं, गिद्धराज जटायु की मूर्ति और निषादराज के नाम पर रैन बसेरा बनाने का भी उल्लेख किया। वनवास के दौरान सबसे पहले सहयोग करने वाले निषादराज को सम्मान मिला है। मतंग ऋषि की शिष्या शबरी ने राम भक्ति के लिए जीवन समर्पित किया, जिनके नाम पर भोजनालय बन रहे हैं। ऋषि परंपरा की भविष्यवाणी से प्रेरित होकर हम गाजीपुर मेडिकल कॉलेज को विश्वामित्र के नाम पर समर्पित किया है। यह भारत की एकता में विविधता की झलक है। यह दिखाता है कि दक्षिण से उत्तर तक, भारत एक ही आध्यात्मिक सूत्र में बंधा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे मठ और मंदिर केवल उपासना के स्थान नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता के आधार स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि जब समाज में जाति या संप्रदाय के नाम पर वैमनस्य फैलाने की कोशिश होती है, तब यही मठ और संत समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं। इतिहास उठाकर के देखिए कि जब भी हम बंटे थे तो कटे थे, और जब एक थे तो नेक थे।
योगी ने मंच से वीर अब्दुल हमीद और महावीर चक्र विजेता राम उग्रह पांडेय के परिवारों का सम्मान करते हुए कहा कि गाजीपुर की धरती ने देश को असंख्य वीर सपूत दिए हैं। गहमर गांव देश का सबसे बड़ा सैनिक ग्राम है यह इस जनपद का गौरव है। नेउन्होने कहा कि प्रदेश की डबल इंजन सरकार ने जो कहा है, वही किया है और जो कहा है, उतना ही बोला है। उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा के प्रसार, धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार और गाजीपुर को पर्यटन व अध्यात्म केंद्र के रूप में विकसित करने की योजनाएं तेजी से प्रगति पर हैं। संतों की साधना भूमि पर विकास कार्यों का उद्देश्य केवल भौतिक नहीं, बल्कि आत्मिक उत्थान भी है। योगी ने कहा कि सरकार की नीति 'परित्राणाय साधूनां, विनाशाय च दुष्कृताम्' के सूत्र पर आधारित है। सज्जनों का संरक्षण और दुष्ट प्रवृत्तियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस ही सरकार का धर्म है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत तभी सशक्त बनेगा, जब हर नागरिक अपनी आध्यात्मिक चेतना को जागृत रखे और भौतिक प्रगति को उसी आधार पर जोड़े। उन्होंने कहा कि आस्था और विकास का संगम ही नया भारत बनाएगा। हमारी परंपरा हमें केवल भक्ति नहीं, बल्कि कर्म और राष्ट्रधर्म की शिक्षा देती है।
योगी आदित्यनाथ ने जनपद गाजीपुर के श्री मंहत रामाश्रय दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भुड़कुड़ा में पहुँचकर परमपूज्य ब्रह्मलीन श्री महंथ रामाश्रय दास जी की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया और विद्यार्थियों से राष्ट्र एवं संस्कृति के प्रति समर्पित भाव से कार्य करने का आह्वान किया।
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