, Dec. 26 -- श्रीनगर, 26 दिसंबर (यूनीवार्ता) कश्मीर के उदारवादी अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने अपनी एक्स प्रोफाइल से ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के 'अध्यक्ष' का पदनाम हटा दिया है।

कश्मीर के प्रमुख धर्मगुरु मीरवाइज के सत्यापित एक्स हैंडल पर दो लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। उनके संशोधित बायो में अब केवल उनके नाम और स्थान की जानकारी है। हुर्रियत अध्यक्ष ने दावा किया कि अधिकारियों के यह चेतावनी देने के बाद कि उनका खाता बंद कर दिया जाएगा, उन्हें यह बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

श्री मीरवाइज ने एक्स पर लिखा, "कुछ समय से अधिकारी मुझ पर दबाव डाल रहे हैं कि मैं हुर्रियत अध्यक्ष के रूप में अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल में बदलाव करूं, क्योंकि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सभी घटक, जिनमें अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल है, जिसका मैं नेतृत्व करता हूं, यूएपीए के तहत प्रतिबंधित कर दिए गये हैं। जिससे हुर्रियत एक प्रतिबंधित संगठन बन गया है, और ऐसा न करने पर वे मेरा हैंडल हटा देंगे।"उन्होंने कहा कि उनके सामने "एक ही विकल्प था" और उन्होंने एक्स से हुर्रियत अध्यक्ष का पदनाम हटाने का फैसला किया।

उन्होंने आगे लिखा, "ऐसे समय में जब सार्वजनिक स्थान और संचार के साधन कठोर तरीके से सीमित कर दिये गये हैं, यह मंच मेरे लिए अपने लोगों तक पहुंचने और हमारे मुद्दों पर अपने विचार उनसे और बाहरी दुनिया से साझा करने के कुछ गिने-चुने साधनों में से एक है। ऐसी परिस्थितियों में, यह एक मजबूरी वाला विकल्प था जिसे मुझे चुनना पड़ा।"सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मीरवाइज को दिये गये कथित निर्देश की निंदा की। एनसी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक ने कहा कि मीरवाइज एक बहुत सम्मानित राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक विद्वान हैं।

श्री सादिक ने कहा, "वे वर्षों से लोगों और उनकी समस्याओं के बारे में बात करते आ रहे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि अगर किसी तरह का दबाव है, तो इसकी जांच होनी चाहिए। वह एक बहुत ही सम्मानित धार्मिक विद्वान हैं। इसलिए मुझे लगता है कि अगर ऐसा है, तो यह गलत है।"पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक वहीद पारा ने मीरवाइज के एक्स से हुर्रियत का पदनाम हटाने का समर्थन किया। श्री पारा ने इस कदम की तुलना हुदैबिया की संधि से की, जिसमें पैगंबर मुहम्मद ने शांति के हित में कुछ उपाधियां हटाने पर सहमति जताई थी।

श्री पारा ने एक्स पर लिखा, "अगर मीरवाइज कश्मीर ने शांति के प्रतीक के रूप में एपीएचसी का टैग हटाया है, तो इसे कभी भी उनके खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कठोरता के बजाय शांति को चुनना कमजोरी नहीं, बल्कि नेतृत्व है।"उन्होंने आगे लिखा, "मीरवाइज़ ने कानून और परिस्थितियों के दायरे में रहकर काम किया है। इस फैसले के लिए उन पर हमला करने और उन्हें ट्रोल करने वाले जानबूझकर उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि असाधारण चुनौतियों का सामना करने और उनके पिता के सर्वोच्च बलिदान के बावजूद उनका रास्ता और कठिन हो जाए। ऐसे हमले न तो न्याय प्रदान करते हैं और न ही शांति की, बल्कि ये केवल विभाजन को गहरा करते हैं।"श्री मीरवाइज के नेतृत्व वाली उदारवादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से लगभग निष्क्रिय हो गयी है।

इसके अधिकांश घटक संगठनों पर बाद में केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें श्री मीरवाइज का अपना राजनीतिक संगठन, एएसी भी शामिल है। पिछले छह वर्षों में इस समूह ने शायद ही कभी राजनीतिक बयान जारी किए हों। हालांकि, श्री मीरवाइज श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में अपने शुक्रवार के प्रवचनों में कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए संवाद की वकालत करते रहे हैं।

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