रांची , दिसंबर 19 -- अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच के तत्वावधान में 30वां लघुकथा सम्मेलन 27 एवं 28 दिसम्बर को पटना के किलकारी बाल भवन में आयोजित होगा।
इस सम्मेलन में झारखंड, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, , हरियाणा, राजस्थान सहित कई अन्य प्रदेशों के 100 से अधिक लघुकथाकार शिरकत करेंगे।
लघुकथा मंच के महासचिव डॉ ध्रुव कुमार ने आज बताया कि अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच के संस्थापक एवं लघुकथा आंदोलन के पुरोधा स्व. सतीशराज पुष्करणा की स्मृति में लघुकथा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले चार लघुकथाकार पुरस्कृत किए जाएंगे।
इस वर्ष डॉ सतीशराज पुष्करणा लघुकथा शिखर सम्मान दिल्ली निवासी देश के शीर्ष लघुकथाकार 75 वर्षीय बलराम को प्रदान किया जाएगा। उन्हें स्मृति चिह्न एवं 25 हजार रूपये दिए जाएंगे।
लघुकथा आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाली बोकारो, झारखंड की 77 वर्षीया डॉ आशा पुष्प को सतीशराज पुष्करणा लघुकथा समालोचना सम्मान प्रदान किया जाएगा। उन्हें स्मृति चिह्न और 15 हजार रूपये प्रदान किए जाएंगे।
इसके अतिरिक्त बेगूसराय के 25 वर्षीय सुमन कुमार को सतीशराज पुष्करणा लघुकथा युवा सम्मान एवं पटना के 12 वर्षीय अनुराग को सतीशराज पुष्करणा लघुकथा नवांकुर सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। सुमन कुमार स्मृति चिह्न के साथ 11 हजार रुपए एवं अनुराग को 5 हजार रुपए और स्मृति चिह्न भेंट की जाएगी। इस अवसर पर डॉ पुष्करणा पर केंद्रित एक स्मृति ग्रन्थ " सतीश राज पुष्करणा हिन्दी लघुकथा के प्रथम पुरुष " का लोकार्पण भी होगा। इसके अतिरिक्त लघुकथा विषयक पुस्तकों की प्रदर्शनी एवं पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
महासचिव डॉ ध्रुव ने बताया कि सम्मेलन के दूसरे दिन 28 दिसम्बर रविवार को विभिन्न सत्रों में लघुकथा के सिद्धांत एवं रचना पक्ष पर दो अलग- अलग सत्र, डॉ सतीशराज पुष्करणा पर केंद्रित एक विशेष सत्र एवं लघुकथा पाठ के लिए अलग से एक सत्र आयोजित किया जाएगा। अंतिम सत्र में सम्मेलन में शामिल लघुकथाकार अपनीलघुकथाओं का पाठ करेंगे।
दिल्ली निवासी प्रसिद्ध लघुकथाकार एवं लेखक-संपादक बलराम विश्व लघुकथा कोश, हिंदी लघुकथा कोश के रचयिता हैं और मसीहा की आंखें उनकी चर्चित लघुकथा संग्रह है।
झारखंड के बोकारो की 77 वर्षीया डॉ आशा पुष्प चर्चित लघुकथाकार एवं समालोचक हैं। उनकी पुस्तक " लघुकथा : उद्भव और विकास " लघुकथा आलोचना की प्रसिद्ध कृति है।
बिहार के बेगूसराय 25 वर्षीय सुमन कुमार एक दशक से अधिक समय से किलकारी से जुड़ कर अपनी रचनात्मकता को निखार रहे हैं। बी आर आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के शोधार्थी सुमनकी लघुकथाओं का संग्रह" अब न अंगूठा छाप " उनकी चर्चित कृति है। उनकी लघुकथाएं देश के प्रमुख समाचार पत्र पत्रिकाओं में छपती रहती हैं।
पटना के राम मोहन राय सेमिनरी में सातवीं कक्षा के छात्र अनुराग कुमार का जन्म 27 मई 2013 को सीतामढ़ी के ददरी गाँव में हुआ है। पटना में किलकारी से जुड़ कर अनुराग अपनी रचनात्मक प्रतिभा को धार देने में जुटे हैं। उन्हें लघुकथा के अलावा कविता, कहानी, संस्मरण, हाइकु, ताँका लिखना भी पसंद है। उनकी रचनाएं बाल भास्कर, बाल किलकारी, चकमक, बाल किरण, साहित्य सप्तक आदि में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी लघुकथाओं का संग्रह " बच्चे का मन " शीर्षक से प्रकाशित हो चुका है।
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