लखनऊ , अक्टूबर 11 -- उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने शनिवार को कहा कि 2017 से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) का शासनकाल दलितों के अपमान, भ्रष्टाचार और परिवारवाद का प्रतीक था।

उन्होंने कहा कि जिस समय पूरे देश में बसपा संस्थापक कांशीराम के नाम से बने संस्थानों को सम्मान दिया जा रहा था, उसी समय अखिलेश यादव ने उनके नाम को मिटाने का काम किया। डॉ. निर्मल ने कहा कि लखनऊ का उर्दू-अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, जो मान्यवर कांशीराम के नाम से था, उससे नाम हटाया गया। यही नहीं, कांशीराम के नाम से चलने वाली सभी सरकारी योजनाओं के नाम भी बदल दिए गए। यह कृत्य दलितों के सम्मान पर गहरी चोट थी। उन्होंने कहा कि बहन मायावती की रैली ने समाजवादी पार्टी के असली चरित्र का पर्दाफाश कर दिया है जो दलित विरोधी और महापुरुषों के प्रति अपमानजनक रवैया रखने वाली पार्टी है।

सपा सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के प्रतीक बने जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस परियोजना की शुरुआत 200 करोड़ रुपये की लागत से हुई थी, लेकिन 2017 तक इसकी लागत बढ़कर 867 करोड़ रुपये हो गई और फिर भी परियोजना अधूरी रही। ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से यह केंद्र "कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का अड्डा" बन गया।

उन्होंने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने आते ही जेपीएनआईसी समिति को भंग कर यह परियोजना एलडीए के सुपुर्द की, ताकि इसे पारदर्शी तरीके से पूरा किया जा सके। सरकार ने 882.74 करोड़ रुपये की धनराशि ऋण के रूप में स्थानांतरित कर दी है, जिसे 30 वर्षों में लौटाया जाएगा। अब इस परियोजना के अंतर्गत आधुनिक ऑडिटोरियम, कन्वेंशन सेंटर, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपज कोर्ट और मल्टीलेवल पार्किंग (750 वाहनों की क्षमता) का निर्माण कराया जा रहा है। इसे अब इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की तर्ज पर लर्निंग सेंटर के रूप में जनता के लिए खोला जाएगा, न कि अखिलेश यादव के शासनकाल में लूट के केंद्र के रूप में।

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