लखनऊ , अक्टूबर 8 -- समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव के रामपुर जाकर मोहम्मद आज़म खान से मुलाकात पर योगी सरकार के मंत्रियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं और इसे मुस्लिम वोटबैंक साधने की सियासत करार दिया है।
सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि 23 महीने तक जेल में रहे आज़म की सुध लेने की बजाय, अब जमानत के बाद अखिलेश 'घड़ियालू आंसू' बहाने रामपुर पहुंचे हैं। यह सपा के मुस्लिम वोटबैंक को साधने की सियासी मजबूरी है।
राठौर ने कहा कि अखिलेश को 23 महीने तक आज़म खान की याद नहीं आई, जब वे जेल में थे। आज़म ने खुद कहा कि जेल में उनके परिवार की किसी ने सुध नहीं ली। अखिलेश ने रामपुर में आज़म का विकल्प खड़ा कर उनकी राजनीति खत्म करने की कोशिश की। अब वोटबैंक खिसकता देख वे आज़म से मिलने जा रहे हैं। यह महज स्टंटबाजी है।
उन्होने कहा " अखिलेश को न आज़म से लगाव है, न किसी और से, उनकी एकमात्र चिंता वोटबैंक है। दूसरों की परेशानी में अखिलेश पहुंच जाते थे, लेकिन आज़म से जेल में कभी नहीं मिले। दोस्ती में गांठ पड़ने के बाद उसका कोई मतलब नहीं रहता, यह आज़म भी समझते हैं। "परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा " अखिलेश ने आज़म से मिलने में बहुत देर कर दी। उनकी पार्टी के नेता है मिलना तो बनता है लेकिन मैं फिर यह कह रहा हूं कि उन्होंने मिलने में बहुत देर कर दी। अगर उन्हें आज़म की चिंता होती, तो जमानत के तुरंत बाद मिलने जाते। अब वोटबैंक खिसकने का डर उन्हें रामपुर ले जा रहा है। सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी है।"राज्यमंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने कहा कि जब आज़म खान जेल में थे, तब सपा और अखिलेश यादव को उनकी याद नहीं आई। आज सपा नेता मुसलमानों को गुमराह करने की नीयत से रामपुर पहुंच रहे हैं। समाज देख रहा है कि यह एक राजनीतिक स्टंट है। उन्होंने सवाल उठाया कि सपा के शीर्ष नेता ने आज़म खान से आखिरी बार कब मुलाकात की थी। वे 2024 के लोकसभा चुनाव में मिले थे। अखिलेश को आज़म केवल वोट मांगने और मुसलमानों को गुमराह करने के लिए याद आते हैं।
मंत्री ने दावा किया कि अखिलेश और आज़म के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। आज़म खान जेल में सालों रहे, लेकिन अखिलेश कभी उनसे मिलने नहीं गए। अब आगे बिहार और फिर यूपी के विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए अखिलेश मुसलमानों को गुमराह करने के लिए यह ढोंग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सपा और अखिलेश यादव कभी मुसलमानों के हितों की बात नहीं करते, बल्कि उनका राजनीतिक इस्तेमाल करना अच्छी तरह से जानते हैं। जब शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की बात आती है, तब सपा को मुसलमानों की याद नहीं आती। मुस्लिम समाज यह समझ चुका है कि सपा और अखिलेश के दिल में उनके लिए कोई जगह नहीं है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित