नई दिल्ली, सितम्बर 18 -- श्राद्ध पक्ष में लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पारंपरिक श्रद्धा और भक्तिभाव से तर्पण करते हैं। पिंडदान और अन्नदान कर पितरों को तृप्त किया जाता है। ऐसा कहा कि श्राद्ध-तर्पण से पितर प्रसन्न होते हैं। उनके अ वरदान से परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और उन्नति बनी रहती है। यहां हम बता रहे हैं कि पितरों के लिए श्राद्ध के समय किसे बुलाना चाहिए और दक्षिणा को लेकर क्या नियम मानने चाहिए। इसका वर्णन पद्मपुराण में किया गया है। जो श्राद्धकार आनेपर भी काम, क्रोध अथवा भय करता है, उसका श्राद्ध पूर्ण नहीं माना जाता है। इसके अलावा पुराणों में लिखा है कि श्राद्ध में अपनी बहन, भांजे और दामाद को जरूर बुलाएं। पुराणों के अनुसार जो 5 कोस के भीतर रहने वाले दामाद, भांजे और बहन को नहीं बुलाता ओर सदा दू...