नई दिल्ली, जून 4 -- छोटे कारोबारियों को जीएसटी की वजह से पैसे का बोझ झेलना पड़ रहा है। उन्हें हर बिल (चालान) बनाते ही जीएसटी सरकार को चुकाना होता है, लेकिन उनके ग्राहक पैसे देने में 40 से 90 दिन तक लटकाते हैं। इसका नतीजा, उनके पास कारोबार चलाने के लिए पैसे ही नहीं बचते। कई बार तो जरूरी काम के लिए कर्ज लेना पड़ता है या अपनी जमा पूंजी निकालनी पड़ती है।दिक्कत की जड़ यहां है जीएसटी का नियम कहता है, "जब बिल बने या पैसा मिले (दोनों में से जो पहले हो), तब टैक्स दो"। मगर हकीकत ये है कि बिल तो आज बनता है, पैसा महीनों बाद मिलता है। ऐसे में कारोबारी को अपनी जेब से जीएसटी भरनी पड़ती है।उदाहरण से समझिए (कंपनी XYZ का मामला) मई महीने में कंपनी ने Rs.5 लाख का सामान बेचा। बिल बना: Rs.5 लाख + 18% जीएसटी (Rs.90,000) = कुल Rs.5.9 लाख। स्टेप-1 (11 जून तक): कं...