नई दिल्ली, अगस्त 26 -- जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने महापंजीयक और जनगणना आयुक्त को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि आगामी जनगणना में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) की अलग से गणना की जाए। जनजातीय मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव अजीत कुमार श्रीवास्तव ने 17 जुलाई को लिखे पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) जैसी लक्षित कल्याणकारी योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन के लिए ऐसा करना आवश्यक है। देश में 700 से अधिक जनजातीय समुदायों में से 75 जनजातीय समुदाय ऐसे हैं जिन्हें पीवीटीजी के रूप में पहचाना गया है, जो 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहते हैं। पत्र में कहा गया है कि पीवीटीजी हमारी आबादी के सबसे हाशिए पर और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े कमजोर वर्ग में से हैं। चिट...
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