रांची, जुलाई 20 -- झारखंड हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने साल 2013 में पुलिस टीम पर हुए हमले के लिए 2 नक्सलियों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर अलग-अलग फैसला सुनाया। इस हमले में पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार समेत 6 पुलिसकर्मी मारे गए थे। जस्टिस रोंगोन मुखोपाध्याय दोषियों को बरी करने के पक्ष में थे जबकि जस्टिस संजय प्रसाद ने मौत की सजा बरकरार रखी। जस्टिस आर मुखोपाध्याय ने अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि गवाहों की पहचान प्रक्रिया दोषपूर्ण थी। अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान में विरोधाभास था। कई गवाहों के बयान मेल नहीं खा रहे हैं। बुलेटप्रूफ जैकेट की पहचान की प्रक्रिया में स्वतंत्र गवाह नहीं थे। जस्टिस आर मुखोपाध्याय का कहना था कि अभियोजन पक्ष ने सिर्फ संदेह के आधार पर ही पूरी बात कही है, लेकिन संदेह से परे...
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