पटना, दिसम्बर 27 -- रंगसृष्टि, पटना द्वारा आयोजित द्विभाषीय नाट्य महोत्सव 'अपना महोत्सव' के तहत भोजपुरी साहित्य के शिखर पुरुष भिखारी ठाकुर की कालजयी रचना 'बिदेसिया' का मंचन किया गया। इस नाटक के माध्यम से शहर और गांव के बीच फंसे मानवीय संबंधों, विरह और अंतत: साझेदारी की जीत को दर्शाया गया। नाटक बिदेसिया के कलकत्ता पलायन और उसकी पत्नी प्यारी के लंबे इंतजार से शुरू होता है। वर्षों बाद, एक बटोही के माध्यम से बिदेसिया को अपनी भूले-बिसरे घर और पत्नी की याद आती है और वह पछतावे के साथ लौटता है, लेकिन कहानी में मोड़ तब आता है जब प्यारी और कलकत्ता वाली स्त्री दोनों ही उसके जीवन में उपस्थित होती हैं। नाटक संदेश देता है कि कैसे प्रेम और पीड़ा से गुजरकर एक स्त्री दूसरे को प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि जीवन-साथी के रूप में स्वीकार सकती है। भाव पूर्ण अभिनयन...
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