कन्नौज, जून 17 -- छिबरामऊ, संवाददाता। पाकिस्तान चली गई हलीमा बीबी के बनवाए गए मृत्यु प्रमाणपत्र की जांच में एक बार फिर नया पेंच फंस गया है। जहां पहला गवाह पूरी तरह से मुकुर गया था। वहीं दूसरे गवाह की हालत काफी दयनीय है। वह बोलने और सुनने में पूरी तरह अक्षम है। ऐसी स्थिति में अब सिर्फ सफाई नायक की रिपोर्ट ही महत्वपूर्ण साबित होगी। छिबरामऊ के मोहल्ला बिरतिया निवासी अब्दुल कयूम जमीदार थे, उनकी छिबरामऊ देहात समेत क्षेत्र के कई गांवों समेत फर्रुखाबाद जनपद में भी काफी जमीनें थीं। उन्होंने वर्ष 1923 में अपनी बेटी हलीमा बीबी को अपनी सभी संपत्तियों का केयरटेकर के रूप में वारिस बनाया था। उन्हें उन जमीनों की देखरेख करनी थी। वह न तो उन जमीनों की बिक्री कर सकती थी और न ही कोई अन्य कार्य। भारत-पाकिस्तान के बटवारे में वर्ष 1948 में हलीमा बीबी पाकिस्तान ...