वाराणसी, दिसम्बर 22 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। सुर, शब्द और विचारों के साथ महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल में संत कबीर जीवंत हुए। रविवार को फेस्टिवल के अंतिम दिन दर्शकों और प्रतिभागियों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत का आनंद उठाया तो विरासतों का भ्रमण कर काशी की ऐतिहासिकता और जीवंतता का भी अनुभव किया। महिंद्रा समूह द्वारा स्थापित और टीमवर्क आर्ट्स द्वारा निर्मित इस फ़ेस्टिवल के अंतिम दिन की शुरुआत गुलेरिया कोठी में 'सबलाइम मॉर्निंग्स' के साथ हुई। श्रोताओं ने तेजस्विनी वर्नेकर के हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन और ख़याल की प्रस्तुति का रसास्वादन किया। इसके बाद देबस्मिता भट्टाचार्य ने सरोद पर सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति दी। 'इवोकेटिव आफ़्टरनून्स' सत्र पुरुषोत्तम अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत 'निज ब्रह्म विचार: रिफ्लेक्शन ऑन द ट्रुथ' में कबीर के विचारों, आध्यात...