बागपत, सितम्बर 13 -- सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की हाईकोट्र्स और ट्रायल कोट्र्स को निर्देश दिया है कि वे जमानत और अग्रिम जमानत से जुड़ी याचिकाओं को तीन से छह महीने के भीतर निपटाएं। क्योंकि ऐसी याचिकाएं सीधे तौर पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ी होती हैं, इसलिए इन्हें वर्षों तक लंबित नहीं छोड़ा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लेकर अधिवक्ताओं और प्रबुद्धजनों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। --- क्या बोले अधिवक्ता- यह फैसला त्वरित न्याय सुनिश्चित करेगा। अक्सर अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई में सालों लग जाते थे, जिससे आरोपी को बिना किसी ठोस कारण के मानसिक और आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ती थी। अतुल प्रशांत एडवोकेट --- इस आदेश से किसी भी नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बेहतर रक्षा हो सकेगी। गिरफ्तारी से पहले जमानत का अधिकार एक मूलभूत अधिकार है और इसे...