मैनपुरी, सितम्बर 14 -- ग्राम जटपुरा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में रविवार को सुदामा चरित्र की कथा संपन्न हुई। आचार्य दीक्षा शास्त्री ने कहा कि मित्रता हो तो कृष्ण और सुदामा जैसी, अन्यथा मित्रता से क्या लाभ। गुरुमाता ने प्रसाद के रूप में खाने के लिए चने दिए जिसे सुदामा ने कृष्ण से छिपकर अकेले खा लिया। मित्र से छल के कारण सुदामा गरीब बने और श्रीकृष्ण द्वारिकापुरी के राजा। पत्नी के कहने पर सुदामा जब द्वारिकापुरी पहुंचे तो द्वारपालों ने उन्हें रोक दिया। परंतु जब श्रीकृष्ण को सुदामा के आने की जानकारी मिली तो वह दौड़े चले आए और सुदामा को गले से लगाया। कथा समापन पर पहुंचे चेयरमैन प्रतिनिधि डैनी यादव ने कथावाचक को पगड़ी पहनाकर व परीक्षित को सम्मानित किया।

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