नई दिल्ली, सितम्बर 17 -- मातृत्व सृष्टि का सबसे सुंदर और सुखद वरदान है। जब कोई स्त्री समाज की तय की हुई मानदंडों को पारकर इसे अपनाती है, तब यह सिर्फ मातृत्व नहीं रह जाता, बल्कि साहस और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन जाता है। लोक गायिका देवी ने 'सिंगल मदर' बनकर वही साहस दिखाया है। विवाह के बंधन में बंधे बिना मातृत्व स्वीकारना न केवल व्यक्तिगत निर्णय है, बल्कि समाज के लिए एक संदेश है कि औरत की पहचान केवल रिश्तों से नहीं, उसकी अपनी इच्छाशक्ति और आत्मसम्मान से तय होती है। इससे पहले नीना गुप्ता ने भी यही साहस दिखाया था। उन्होंने समाज की आलोचनाओं की परवाह न करते हुए बेटी मसाबा गुप्ता को जन्म दिया और आज वही बेटी अपनी पहचान व उपलब्धियों के लिए जानी जाती है। इन दोनों स्त्रियों ने यह साबित किया है कि मां बनने के लिए किसी सामाजिक मुहर की जरूरत नहीं, बल्क...